[ इस ऐतिहासिक लेख के लेखक --श्री अमजद अंसारी हैं यह लेख दैनिक जागरण वाराणसी [इलाहाबाद संस्करण ] में ६ नवम्बर १९९७ ईस्वी को छपा था / इसे ज्यों का त्यों दिया जा रहा है , आचार्य शिवप्रसाद सिंह राजभर ''राजगुरु'' ]
भदोही क्षेत्र बुनकरों का घर है ,जहाँ भोले भाले परस से कितनी कलाकृतियाँ जन्म लेती हैं / बेलबूटेदार कलात्मक रंगों का इन्द्र धनुषी वैभव लिए हुए बेहद लुभावने गलीचे दुनियां के बाजारों में धाक जमाये हुए हैं / करोड़ों रुपये विदेशी मुद्रा अर्जित कराने तथा लाखों लोगों को रोजी रोटी मुहैया कराने वाले भदोही अंचल की अभिव्यक्ति कालीनों के माध्यम से होती है / आकर्षक कालीनों से ही भदोही को विश्व मानचित्र एवं हस्त कला के क्षेत्र में सर्वोच्च स्थान दिया है /
गंगा तट से २१ किलोमीटर उत्तर भदोही नगर स्थित है /भदोही कालीन औद्योगिक परिक्षेत्र में अनेकों बाजार तथा उपनगर है जिसमें गोपीगंज , खमरिया घोसिया , ज्ञानपुर , सुरिधांवा एवं नई बाजार आदि मुख्य उपनगर अपनी अलग पहचान बनाए हुए उद्योग के विकास में तत्पर हैं /
४०० साल पूर्व भदोही परगना में भरों का राज्य था , जिसके ड़ीह , कोट , खँडहर आज भी मौजूद हैं / भदोही नगर के अहमदगंज , कजियाता , पचभैया , जमुन्द मुहल्लों के मध्यम में स्थित बाड़ा ,कोट मोहल्ले में ही भरों की राजधानी थी / भर जाति का राज्य इस क्षेत्र सहित आजमगढ़ , बलिया , गाजीपुर , इलाहाबाद एवं जौनपुर आदि में भी था / गंगा तट पर बसे भदोही राज्य क्षेत्र में सबसे बड़ा राज्य क्षेत्र था /सुरियांवां , गोपीगंज , जंगीगंज , खमरिया , आराई, महाराजगंज ,कपसेठी , चौरी ,जंघई , बरौट आदि क्षेत्र भदोही राज्य में था / गंगा तट का यह भाग जंगलों की तरह था /
देश के महापराक्रमी हूणों के आक्रमण एवं अत्याचारों से शर्ति काँप उठी थी / देश को आक्रमण
कारी हूणों से घिरा देख कर भारशैव [भर ] शासकों ने हूणों के आक्रमण का सामना करने की पूर्ण जिम्मेदारी अपने हाथों में ली / प्रति तीन तीन मील पर प्रति रक्षात्मक गढ़ियों का निर्माण किया गया / भदोही क्षेत्र में प्रायः गाँव और कस्बों में आज भी उन गढ़ियों व तालाबों के ध्वन्शावाशेष देखे जा सकते हैं / भदोही क्षेत्र की जनता के सहयोग से भार शैव [भर ] राजाओं ने हूणों को आगे बढ़ने से रोक दिया तथा हूणों को क्षेत्र से पीछे हटना पडा / इसके बाद फिर हूणों ने भदोही क्षेत्र में आक्रमण करने का साह्स नहीं किया /
जब भर जाति के लोग वहां के नागरिकों पर अत्याचार करने लगे और क्षेत्र की जनता भरों से टक्कर लेने की रणनीति बनाया तो उसी समय राजस्थान के क्षत्रियों का एक काफिला काशी जा रहा था , यहाँ से होकर गुजरा , जहां पर हिन्दू -मुस्लिम संस्कृति एक साथ फल फूल रही थी / यहाँ की जनता ने उन क्षत्रियों से भरों के अत्याचार से मुक्ति दिलाने की प्रार्थना की , जिस पर वे राजी हो गए और क्षत्रियों व भरों के बीच जमकर युद्ध हुआ /
मुग़ल काल में भदोही क्षेत्र सुरियावां के राजा कुलहिया के राज्य में था , जिसमें भदोही ताल्लुका चौथार या कुलहिया राजा के टीला व भग्नावशेष आज भी '' बावन बिगहिया '' [जल तारा ] के पास मौजूद है / [[साभार प्रकाशित ]
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