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भारत देश का नामकरण और हमारे पूर्वाग्रह



20.भारत देश का नामकरण और हमारे पूर्वाग्रह 



(
यह लेख बहुजन विकास पाक्षिक नई दिल्ली और प्रबुद्ध अम्बेडकर मासिक अजमेर आदि पत्रिकाओं में 2009 में छप चुका है।)
हमारे पूर्वाग्रह के कारण इतिहास की बहुत सी बातें परदे के पीछे छिपी रह जाती हैं जब आपसे कोई लखनउ के नामकरण के बारे में पूछेगा तब आप तत्काल कहेंगे कि दशरथ पुत्र लखन के नाम लखनपुरी बसाई गई ,इसी का बिगडा रूप लखनउ है बहराइच के नामकरण की चर्चा होगी तब आप कहेंगे कि ब्रम्हा जी ने वहां पर तपस्या की थी ,ब्रहमाइच का बिगडा रूप बहराइच है जबकि सच तो यह है कि लखना भर के नाम पर लखनपुरी बसाई गई और उसका बिगडा रूप लखनउ है वीर लडाकू भर जाति के नाम पर भराइच , भर-राइच नगर बसा और उसी का बिगडा रूप बहराइच है लेकिन क्या करें हमारी पौराणिक सोच खींचतान कर पौराणिक पात्रों के नाम साम्यता स्थापित कर ही देती है यही स्थिति भारत देश के नामकरण की है
बहुजन विकास के दस जून 2009 के अंक में आदरणीय श्री राजन चौधरी का लेख हमारे देश के नामों पर उठे सवाल ,पढा लेख की पंक्तियां –‘’-देश का नाम भारत हो जाने के पीछे दो कथायें जुडी हैं एक है दुष्यंत के मेधावी पुत्र भरत की और दूसरी है ,जैन ऋषभ के पुत्र भरत की जिनके सम्राट बनने पर प्रजा के आग्रह पर देश का नाम भारतवर्ष रखा गया ‘’ हम सबकी भी यही धारणाएं हैं इन्हीं दो कथाओं का उल्लेख कर हम प्रश्नकर्ताओं की जिज्ञासा शान् करते आए हैं भारत देश का नाम भारत कैसे पडा कभी भी हमने गंभीर होकर शोध कार्य नहीं किया। इन दो पौराणिक पात्रों ने हमें इतना बांध दिया कि हम पोराणिक पूर्वाग्रहों के शिकार हो गये देशों ,प्रदेशों के नामकरण के सिद्धान्तों ,नियमों पर हमने ध्यान ही नहीं दिया  
व्यक्तियों के नाम पर गांव, नगर, विशिष् स्थान आदि के नाम होते हैं, देश का नहीं मुम्बादेवी के नाम पर मुम्बई ,इला के नाम पर इलाहाबाद , जाबालि ऋषि के नाम पर जाबालिपुरम (जबलपुर), राजा मानिक के नाम पर मानिकपुर ,राजा बन्दारस के नाम पर बनारस आदि जाति समूहों के नाम पर भी मुहल्लों ,गांवों, नगरों के नाम हो सकते हैं जैसे शिवहरे जाति के नाम पर सिहोरा, नाग जाति के नाम पर नागपुर इत्यादि देश अथवा प्रदेश के नामकरण जाति (जाति समूह), भाषा, भैगोलिक संरचना आदि के आधार पर होते हैं अर्थात देश का नाम व्यक्तिवाचक नहीं अपितु समूहवाचक होता है आप हमारे देश एवं प्रदेशों के नामकरण के सम्बंध में इन्हीं सिद्धान्तों को आधार बनाकर सोचिए कि उनका नामकरण व्यक्ति विशेष के नाम पर हुआ है अथवा जाति ,भाषा, भौगोलिक संरचना आदि सिद्धान्तों के आधार पर आइये अब हम विचार करें कि हमारे देश का नाम भारत क्यों यदि पुराणकारों ने दुष्यन् पुत्र भरत और जैन ऋषभदेव के पुत्र भरत के नामों से भारत देश का नामकरण होने का उल्लेख कर भी दिया हो तो इसका अर्थ यह नहीं कि उन्होंने सही लिखा है सही तो यह है कि भरतों (भरत त्रस्तुगण) के नाम पर भारत देश का नाम भारत पडा है भरत जाति (भरत जाति समूह) का उल्लेख ऋग्वेद में है इस भरत जाति समूह के मुखिया राजा सुदास थे ऋग्वेद में वर्णित दासराज्ञ युद्ध से विद्वान परिचित हैं भरत जाति बहुत प्रतापी थी और उस जाति के नाम पर हमारे देश का नाम भारत पडा  
विश् विख्यात महाविद्वान ,पंण्डित राहुल सांस्क्रत्यायन ने भी इसी तथ् की पुष्टि की है कि महाप्रतापी भरत जाति के नाम पर हमारे देश का नाम भारत पडा उनकी पुस्तक सतमी के बच्चे में अकाल की बलि के अन्तर्गत डीह बाबा शीर्षक से लिखे गये लेख की पंक्तियां ज्योंकि त्यों यहां उद्ध्रत कर रहा हूं – ‘’ जीता राजभर जाति के थे कौन सी भर जाति ईसा से प्राय दो हजार वर्ष पूर्व ,जब आर्य भारत में आये ,तबसे हजारों वर्ष पूर्व जो जाति सभ्यता के उच्चशिखर पर पहुंच चुकी थी। जिसने सुख और स्वच्छतायुक् हजारों भव् प्रासादों वाले सुद्रढ नगर बसाये थे , जिसके जहाज समुद्र में दूर दूर तक यात्रा करते थे, वही जाति व्यसन निमग् पाकर आर्यों ने उनके सैकडों नगरों को ध्वस् किया तो भी ,उसके नाम की छाप आज भारत देश के नाम में है ---वही भरत जाति या राजभर जाति पराजित होने पर भी भर जाति आर्यों का सभ्यता सिखलाने में गुरू बनी ;;;;;;;;सिन्धु उपत्यका की इस सभ् जाति (जिसके प्राचीन नगरों के भव् ध्वंशावशेष मोहनजोदडो और हडप्पा के रूप में आज भी जगत को चकित कर रहे हैं ) की एक प्रधान शाखा पूर्वीय युक् प्रान् और बिहार तें बस कर के भर नाम से प्रसिद्ध हुई ‘’ मैं आशा करता हूं कि पूर्वाग्रहों को त्याग कर भारतवर्ष नामकरण के वास्तविक तथ्यों से अवगत कराने विद्वत्जन अपनी लेखनी अवश् उठायेंगे
(लेखक आचार्य शिवप्रसादसिंह राजभर राजगुरू)
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BY- कैलाश नाथ राय भरतवंशी
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