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क्या जाबालि ऋषि भारशिव थे ?

10. क्या जाबालि ऋषि भारशिव थे ?


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यह लेख राजभर मार्तण्ड मासिक के जुलाई २००५ अंक में छप चुका है /]
विभिन्न ग्रंथों का अध्ययन करते समय मुझे यह तथ्य ज्ञात हुआ कि सिहोरा से पूर्व दक्षिण दिशा आग्नेय की ओर राजा हिरनाकुश का राज्य था / कुण्डंम राजा हिरनाकुश की राजधानी थी / हिरनाकुश बध के उपरांत क्रोधित नरसिंह ने सिहोरा के पूर्व वर्त्तमान नरसिंह मंदिर में विश्राम किया था / यहाँ से मैहर प्रस्थान किया था , जहां शारदा देवी ने उनके क्रोध को शांत किया था / यह भी कहा जाता है कि कुण्डंम से प्रवाहित नदी हिरन का नाम हिरनाकुश के नाम पर पडा है / सिहोरा से पश्चिम हिरनाकुश के भाई हिरानाक्ष का राज्य था , जिसे विष्णु बाराह ने मारा था / मझौली स्थित विष्णु बाराह का मंदिर इसी तथ्य की पुष्टि करता है / 
भेडाघाट विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष श्री राजकुमार गुप्ता ने अपने एक लेख में यह उल्लेख किया है कि भेडाघाट स्थित चतुर्मुख शिव लिंग सम्राट वीरसेन भारशिव द्वारा प्राण प्रतिष्ठित कराया गया था /इससे यह स्पष्ट है कि जबलपुर भू-भाग पर भी भारशिवों का राज्य था / मुझे लगता है कि प्रसिद्द भेडाघाट भी भार-घाट या भारशिव-घाट का अपभ्रंश है / वामन पुराण का अध्ययन करते समय जाबालि मोचन प्रसंग में मुझे हिरण्यवती नदी का उल्लेख मिला --- ''दम्यन्त्यपि वेगेन हिरन्यावत्या अपsवाहिता नीता देशं महापुण्य कोसलं साधुर्भियत /'' हिरन नदी सिहोरा जबलपुर मार्ग पर प्रवाहित है / यह पौराणिक नदी है / इस नदी में जाबालि ऋषि स्नान करते थे --;
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इत्येवमुक्तः पिताs बालः पंचाव्ददेश्यकः / विचरामि मही पृष्ठं स्नातुं हिरण्यवतीम //''
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मैं बालक जो कि पांच वर्ष का हूँ , हिरण्यवती में स्नान करने को गमन करता हुआ मही पृष्ठ पर विचरण करता हूँ / '' हम जानते हैं कि जबलपुर का नाम महर्षि जाबालि के नाम पर पडा है / जबलपुर जाबालिपुरम का अपभ्रंश है / बामन पुराण में लिखा है कि 
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शाखायाः कृत्तया चा सौ भारवाही तपोधनः / 
शरसोपानमार्गेण अवतीर्नोs पादपात /
तस्मिन्स्तथा स्वेतनये ऋतध्वजततो नरेन्द्रस्य सुतेन धन्विता /
जबालिना भारवहेन संयुत समाजगामाथनदीं सूर्यजाम //
उक्त श्लोकों में भारवाही तपोधनः एवं जानालिना भारवहेन का उल्लेख यद्यपि भारवाहक के अर्थ में हुआ है किन्तु ऐसा आभास होता है कि ये शब्द शिवलिंगोद्वाहन भारशिवानाग से अवश्य सम्बन्ध रखते हैं / जाबालि ऋषि के नाम पर जबलपुर नगर का नाम ,जाबालि के साथ जाबालिना भारवह का उल्लेख से लगता है कि पुराणकार ने जाबालि ऋषि के वंश भारशिव का अप्रत्यक्ष रूप से उल्लेख कर दिया है /
भारघाट का अपभ्रश भेडाघाट है , यहाँ भारशिव नरेश वीरसेन नाग जिनका पौराणिक नाम वीरभद्र है के द्वारा चतुर्मुख शिवलिंग की स्थापना , जबलपुर जिले में राजभरों की बहुसंख्या , इस जाति के नाम पर स्थित अनेक ग्राम आदि हमारे वर्ण्य विषय की पुष्टि करते हैं /
लेखक आचार्य शिवप्रसाद सिंह राजभर ''राजगुरु''
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BY- कैलाश नाथ राय भरतवंशी
FACEBOOK ADDRESS.-  kailashnathrai0023@gmail.com

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