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RASHTRAVEER MAHARAJA SUHELDEV TRUST


                रा‘‘ट्रवीर महाराजा सुहेलदेव ट्रस्ट
                          पंजीयन क्र- 236/बी-121/07-08 दिनांक-21-8-2008
               स्टेट बैंक आफ इ.िडया खाता संख्या-30491671464,आयकर च्।छ दव.3821 पी
                        केन्द्रीय कार्यालय
   म-नं-2/234, आनन्द भवन, सहकारी दाल मिल के पीछे, सिहोरा, जिला-जबलपुर, मध्यप्रदे”ा-483225
                          फोन नं--07624-230685, मोबा-नं--09424767707,

नियमावली
1- ट्रस्ट का नाम     - ट्रस्ट का नाम रा‘‘ट्रवीर महाराजा सुहेलदेव ट्रस्ट होÛा।
   ट्रस्ट की प्रकृति   -  धर्मार्थ ट्रस्ट
2- ट्रस्ट का कार्यालय:- ट्रस्ट का कार्यालय - म- नं- 2/234, आनंद भवन, सहकारी दाल मिल
                         के पीछे, सिहोरा, जिला जबलपुर (म-प्र-), भारत - 483 225 होÛा। ट्रस्ट
                         का कार्यालय आव’यकतानुसार बदला भी जा सकता है, जिसके लि,
                         प्रस्ताव पारित किया जाना अनिवार्य होÛा। ट्रस्ट की ’ााखा / ’ााखा,ॅ
                         आव’यकतानुसार ट्रस्ट म.डल के र्नि.ायानुसार प्रारंभ की जा सकेंÛी या
                         बन्द की जा सकेंÛी।
3- ट्रस्ट का कार्य{ो=:- ट्रस्ट का कार्य{ो= सम्र्पू.ा भारत (अथवा वि’व में जहाॅ भी राजभर समाज
                         स्थित है) होÛा।
4- ट्रस्ट की संरचना ,वं Ûठन -
4-1 ट्रस्ट म.डल  - ट्रस्ट के प्रबंध विनिमयों }ारा ट्रस्ट के कार्यों के प्रबंध के लि, निम्नलिखित
                     ट्रस्टीÛ.ा को उनकी स्वीकृति से ट्रस्टी नियुक्त किया जा रहा है जो परोपकार
                     और समाज सेवा की भावना से प्रेरित होकर स्वेच्छा से उक्त ट्रस्ट के Ûठन में
                     अपनी महत्वर्पू.ा सहभाÛिता दर्ज कर रहे हंै। येे सभी ट्रस्टी Û.ा राजभर
                     समाज उत्थान अभियान के समर्थक, पो‘‘ाक ,वं रा‘‘ट्रवीर महाराजा सुहेलदेव
                     की रा‘‘ट्रवादी विचारधारा के अनुयायी है। ये सभी ट्रस्टीÛ.ा इस हेतु वचनब)
                     हैं कि यह ट्रस्ट राजभर समाज के सर्वांÛी.ा विकास के लि, र्पू.ातः समर्पित
                     रहेÛा।
 क्र-    ट्रस्टियों के नाम                     पता                  पदभार          व्यवसाय
----------------------------------------------------------
 1     आचार्य ”िावप्रसाद सिंह        आनंद भवन, सिहोरा           मुख्य ट्रस्टी/     पें”ानर
         राजभर                    जि- जबलपुर, म-प्र- 483 225    अध्य{ा

2-    Ûोपीलाल चैधरी              राजविराज, नÛरपालिका-7     सहा-प्रबं- ट्रस्टी    पें”ानर
                                 लालजाटोल, जि- सप्तरी, नेपाल  उपाध्य{ा
 3-    श्री ”िावपरसन राय           बी-26, कमला नेहरु नÛर,      ट्रस्टी /सचिव  पूर्व कृ‘ि‘ा
                                  खुर्रम नÛर, लखनउ (उ-प्र-)                    निर्दे”ाक
 4-    डाॅ- धने”वर राय                    ,ल-6/192, सेक्टर ,म,          ट्रस्टी /संयु-  संयुक्त
                                  अलीÛंज, लखनउ (उ-प्र-)           सचिव        निदे-
 5-    श्री अच्छेलाल राजभर         Û्राम कछपुरा, पो- Ûोसलपुर,           ट्रस्टी /    मलेरिया 
                                  तह- सिहोरा, जिला जबलपुर         को‘‘ााध्य{ा     इंस्पेक्टर
                                   (म-प्र-) 483222 
 6     श्री हरिलाल भार”िाव          म-नं- 20, “ांकर कालोनी ,          ट्रस्टी         आयकर
                                  निकट फलाई ओवर चैक,                       अधि-
                                  ओल्ड डी-सी- रोड, सोनीपत
                                  (हरिया.ाा)131001
 7-    श्री जÛदी”ा चैधरी           मार्फत-”ार्मा खादी भंडार,         ट्रस्टी          पें’ानर
                                  सिंहे”वर, जि- मधेपुरा(बिहार)
 8-    सुबास मास्टर                प्रबंधक, ”िावम वै’नो ढाबा,         ट्रस्टी         व्यवसाय 
                                  लोअर माल, पटियाला, पंजाब147001
 9-    श्री राजे”ा कुमार सिंह        म-नं- 93, “यामापल्ली कालोनी,     ट्रस्टी         “ाा-सेवा
                                  क्रस्टल केम्पस के पास, खजूरी
                                  कलां, पो- पिपलानी, भोपाल, म-प्र-
 10-   श्री वी-पी- राज                बैकु.ठपुर, भिलाई, जि- दुर्Û (छ-Û)    ट्रस्टी        ”िा{ाक
 11-   श्री बीरबल राम राजभर        Û्रा- पो- अनौनी, जि- Ûाजीपुर (उ-प्र-)   ट्रस्टी        पें”ानर
 12-   श्री ”िावचंद राम राजभर              म-नं- 2003/12, सेक्टर 32-सी,      ट्रस्टी        पें”ानर
                                  च.डीÛढ़ 160 047
                 
            इस ट्रस्ट के अधिकार में अधिकतम (15) ,वं न्यूनतम (7) ट्रस्टी होंÛे। यह कि उपरोक्त क्रमांक 4-1 की सूची के क्रमांक 1 में अंकित ट्रस्टी मुख्य ट्रस्टी या मुख्य प्रबंधक ट्रस्टी/अध्य{ा ,वं क्रमांक 2 में अंकित ट्रस्टी सहायक प्रबंधक ट्रस्टी/उपाध्य{ा कहलायेंÛे। उनके साथ अन्य सभी उपरोक्तानुसार इस ट्रस्ट के ट्रस्टीÛ.ा कहला,ंÛे तथा उन सबका समूह ट्रस्ट म.डल कहला,Ûा।
           सामान्य:प से ट्रस्ट म.डल का कार्यकाल 3 व‘र्‘ा का होÛा। हर तीन व‘र्‘ा की अवधि पूरी होने पर नये ट्रस्ट म.डल का Ûठन होÛा किन्तु यदि ,ेसा नहीं हो पाता तो उसके बाद अधिकतम छः माह की अवधि के अंतर्Ûत चुनाव प्रक्रिया र्पू.ा कर न, ट्रस्ट म.डल का Ûठन कर उसे कार्यभार सौंप दिया जाना चाहि, किन्तु किसी की मृत्यु होने, स्वेच्छा से पद छोड़ने, कदाचार के कार.ा हटाये जाने या ट्रस्ट म.डल की संख्या बढ़ाये जाने के लिये बीच में भी चुनाव हो सकते हैं।संस्थापक म.डल, ट्रस्ट म.डल, संर{ाक म.डल ,वं सभी श्रे.ाी के सदस्य सर्वसम्मति से किसी भी ट्रस्टी को आजीवन पद पर बने रहने का सम्मान दे सकते हैं।
4-2 ट्रस्ट म.डल का चुनाव: ट्रस्टियों का चुनाव करते समय उनकी सम्पन्नता ,वं ”िा{ाा आदि
    को मानद.ड नहीं माना जा,Ûा अपितु समाज के लि, उनके }ारा की Ûई सेवाओं, नम्रता, सेवा
    भावना, मि”ानरी नि‘‘ठा, समाज के लि, त्याÛ-भावना, समाज के हर व्यक्ति-समूह के लि, समान 
    पे्रमदृ‘ि‘ट, सदाचर.ा, उदात्त चरि= आदि का ध्यान रखा जाना परमाव”यक है। ट्रस्ट का कार्य पूरी
    तरह पु.यकार्य से जुड़ा हुआ है। अत,व ट्रस्टीÛ.ाों को सम्र्पू.ा समाज के हित के लि, वही भूमिका
    निभानी होÛी जो ,क परिवार के कल्या.ा के लि, माता-पिता निभाते हैं। उनमें यह भावना होनी
    चाहि, कि परमात्मा ने अपने आत्म-स्वरुप जनता-जनार्दन की सेवा का अवसर दिया है।
               रा‘‘ट्रवीर महाराजा सुहेलदेव ट्रस्ट का कार्य{ो= ,वं उद्दे”य वह पु.यधाम है - जहाॅ
    Ûृहस्थ जीवनयापन करने वाले महात्मा, पु.यात्मा Ûौतम बु) की करु.ाा, ईसा मसीह की {ामा,
    कबीर के फक्कड़पन, महात्मा Ûाॅधी के समन्वयवाद और भीमराव अम्बेडकर के पिछड़े समाज को 
    ऊपर उठाने की ललक को बखूबी अंजाम दे सकते हैंै। ट्रस्ट में Û.ानात्मक नहीं वरन् Ûु.ाात्मक
    व्यक्तित्व ,वं प)ति को अपनाया जा,Ûा। प्रारंभिक अवस्था में ट्रस्ट म.डल का चुनाव उपरोक्त
    Ûु.ाात्मक पहलुओं को र्पू.ातः ध्यान में रखते हु, आहूत बैठक में उपस्थित 4(1) में र्व.िात ट्रस्ट
    म.डल के सदस्य, 4(3-क) में र्व.िात सामान्य सभा के सदस्य 4(4-क) में र्व.िात संर{ाक म.डल के
    सदस्य, 4(5-क) में र्व.िात समन्वय समिति के सदस्य ,वं क्रमांक 15 में र्व.िात संस्थापक म.डल के
    सदस्य अथवा संस्थापक म.डल के किसी भी सदस्य की मृत्यु हो जाने पर उसका सम्मान बना,
    रखने के लि, उस परिवार से मुख्य ट्रस्टी }ारा नामजद 4(-4-ख) में र्व.िात संर{ाक म.डल के
    सदस्य सर्व-सम्मति से करेंÛे ,वं यदि आव”यक हो तो समाज के मार्Ûदर्”ाक से मार्Û दर्”ान प्राप्त
    कर चयन को अंतिम:प देंÛे। निवृतमान ट्रस्टी जिनका र्व.ान 4(1) में दिया Ûया है, यदि वे
    संस्थापक म.डल के सदस्य नहीं हैं ,वं किसी कदाचार के कार.ा पद से नहीं हटा, Ûये तो
     उनको सं{ाक म.डल 4(-4-क) में “ाामिल किया जायेÛा।
              संभव है कि पद-लोलुप, धन-लोलुप, चालाक(बंचक) व्यक्ति/व्यक्तिÛ.ा ट्रस्ट से लाभ
    उठाने के लि, बहुमत जुटाकर ट्रस्ट के महत्वर्पू.ा पद/पदों पर आसीन होना चाहें और ट्रस्ट की
    मि”ानरी भावना को ताक पर रखकर समाज हित की बजाय व्यक्ति-हित साधें। इस दो‘‘ा को दूर
    करने ,वं दो‘‘ा-हीन चुनाव प)ति बनाने के लि, ट्रस्ट म.डल सभी सम्मानित सदस्यों से सुझाव
    आमं=ित करेÛा ,वं ट्रस्ट के पंजीयन के छः माह के अन्दर ,क आमसभा/बैठक बुलाकर प्राप्त
    सुझावों से उस प)ति को विधिवत् प्रस्ताव }ारा स्वीकृत करेÛा जो दो‘‘ा रहित हो या कम से कम
    दो‘‘ार्पू.ा हो ,वं विधि-सम्मत भी हो। यह सब इसलि, आव”यक है ताकि ट्रस्ट के मूल उद्दे”यों   
    की पूर्ति का Ûला न ?ाुटे ,वं ट्रस्ट लूटपाट का अखाड़ा न बने।
4(3) सामान्य सभा: ट्रस्ट की सामान्य सभा (जनरल बाडी) में निम्नांकित सदस्य “ाामिल होंÛे।
4(3-क)            : सामान्य सदस्यों Û्रामी.ा, सामान्य सदस्यों “ाहरी, वि”िा‘‘ट सदस्यों, अति वि”िा‘‘ट
                     सदस्यों, परम वि”िा‘‘ट सदस्यों }ारा अपनी-अपनी सदस्य श्रे.ाी से चुने Û,
                      पाॅच-पाॅच सदस्य।
4(3-ख)            : ट्रस्ट के सभी सदस्य।
4(3-Û)            : संर{ाक म.डल के सभी सदस्य।
4(3-?ा)            : संस्थापक म.डल के वे सभी सदस्य जो उपरोक्त किसी अनुुक्रमांक में “ाामिल नहीं है।
सामान्य सभा - अनुक्रमांक 4(3-क) में र्व.िात सदस्यों }ारा अपनी सदस्य श्रे.ाी से पाॅच-पाॅच
,ेसे सदस्य चुनने होÛंे जो ट्रस्ट की विचारधारा के अनुयायी हों जो रचनात्मक आंदोलन को Ûति देने के लि, निर्धारित न्यूनतम अं”ादान (नकद अथवा सामÛ्री) जमा करने के अलावा जिनने नियमित:प से स्थान भवन की कोई सुविधा ट्रस्ट को दे रखी हो अथवा नियमित समयदान अथवा उल्लेखनीय सेवा दे रहे हों। ,ेसे व्यक्तियों की विधिवत् सूची कार.ा सहित प्रतिव‘र्‘ा वित्तीय व‘र्‘ा के प्रथम =ै-मास में ट्रस्ट }ारा जारी की जायेÛी। इस प्रक्रिया में यह भी प्रयास किया जा,Ûा कि भारत के उन राज्यों के व्यक्तियों को भी प्राथमिकता मिल जहाॅ राजभर समाज अधिक संख्या में है।
4(4) संर{ाक म.डल:
4(4-क)     : संर{ाक म.डल में ,ेसे सदस्य होंÛे जो ट्रस्ट को राजनैतिक दल-दल से दूर रखने के
              प्रति कटिब) तथा वचनब) है ,वं  ट्रस्ट के रचनात्मक आन्दोलन के प्रति पूरी
              आस्था रखते हैं तथा स्व-समाज सेवा से जुड़े रहने के साथ - साथ प्रभाव, वि”ो‘‘ाज्ञता
              ,वं संसाधन की दृ‘ि‘ट से समर्थ हैं ,व न्यूनतम पच्चीस हजार रुपये अनुदान दे सकें।ं
              ट्रस्ट म.डल की सहमति से ,ेसे व्यक्तियों को संर{ाक म.डल में “ाामिल किया जा
              सकता है। ट्रस्ट म.डल का यह प्रयास होÛा कि ,ेसे राज्य जहाॅ पर राजभर समाज है
              उस राज्य का भी प्रतिनिधि हो। यह बात ध्यान में रखते हु, उपरोक्त योग्यता वाले
              व्यक्ति को संर{ाक म.डल में सम्मिलित करे। ट्रस्ट म.डल ,ेसे व्यक्तियों को जिन्हें कि
              संर{ाक म.डल में “ाामिल कर रहा है - उन व्यक्तियों से उनकी स्वीकृति लेÛा।
              स्वीकृति/सहमति के उपरान्त ट्रस्ट म.डल की आÛामी बैठक में प्रस्ताव पास कर
              उनके नाम संर{ाक म.डल में सम्मिलित कि, जा सकेंÛे। इसी प्रकार कदाचार का
              दो‘‘ाी पाये जाने पर नाम हटाये भी जा सकेेंÛे।

     क्रमांक              नाम                    पूरा पता                     पद/व्यवसाय



4(4-ख)     : संस्थापक म.डल के किसी सदस्य की मृत्यु हो जाने पर उस संस्थापक सदस्य का
              सम्मान रखने के लि, मुख्य ट्रस्टी उस संस्थापक सदस्य के किसी उत्तराधिकारी या
              उस परिवार के किसी भी सदस्य को संर{ाक म.डल की स्थायी सूची में “ाामिल कर
              सकेÛा। इस स्थायी सूची में फेर-बदल या पुर्नÛठन की स्थिति में यदि उस संर{ाक
              सदस्य को अलÛ किया जाता है तो उस संस्थापक सदस्य के अन्य उत्तराधिकारी,
              परिवार के सदस्य का निकट रि”तेदार को मुख्य ट्रस्टी }ारा नामजद किया जा,Ûा।
              दोनों ही स्थिति मंे विधिवत् प्रस्ताव ट्रस्ट म.डल }ारा पारित किया जायेÛा।

क्र-     नामजद संर{ाक        पूरा पता              व्यवसाय              संस्थापक का नाम        वि’ो‘‘ा
       सदस्य का नाम                                   जिसके देहावसान
                                                       के कार.ा सदस्य
                                                       नामजद किया Ûया है



     संस्थापक म.डल ,वं ट्रस्ट म.डल के साथ मिलकर दि”ाा निर्दे”ा तय करने में संर{ाक म.डल की     
     भी महत्वर्पू.ा भूमिका होÛी।
4(5) संयुक्त समन्वय समिति - ट्रस्ट म.डल }ारा विभिन्न स्=ोतों से सदस्यों का चयन कर ,क
     संयुक्त समन्वयक समिति का Ûठन किया जा,Ûा जो ट्रस्ट के उद्दे”यों के अनुःप कार्य-योजना
     बनाने, उसे क्रियान्वित करने/कराने तथा समय≤ पर मानीटरिंÛ ,वं समन्वय का कार्य
     करेÛी। इस समन्वय समिति में निम्नानुसार सदस्य होेंÛे।
4(5-क)      : सामान्य सदस्यों-Û्रामी.ा, सामान्य सदस्यों-”ाहरी, वि”िा‘‘ट म.डल सदस्यों, अति
               वि”िा‘‘ट सदस्यों ,वं परम वि”िा‘‘ट सदस्यों में से ट्रस्ट म.डल }ारा चयनित दो-दो
               प्रतिनिधि (कुल दस सदस्य)।
4(5-ख)     : ट्रस्ट म.डल के कम से कम दो सदस्य,:चि के अनुसार ट्रस्ट म.डल }ारा निर्धारित।
4(5-Û)     : संर{ाक म.डल 4(4-क) ,वं 4(4-ख) से दो सदस्य, ट्रस्ट म.डल }ारा निर्धारित।
4(5-?ा)     : संस्थापक म.डल के दो सदस्य ट्रस्ट म.डल की:चि के अनुसार निर्धारित। संयुक्त
              समन्वय समिति का Ûठन ट्रस्ट म.डल की बैठक में प्रस्ताव पारित कर किया जायेÛा।
              संयुक्त समन्वय समिति का कार्यकाल ,क व‘र्‘ा होÛा। पुराने सदस्य पुर्नÛठन प्रक्रिया में
              पुनः लि, जा सकेंÛे।
5- ट्रस्ट के उद्दे’य: ट्रस्ट के निम्नांकित उद्दे’य होंÛे -
5-1           रा‘‘ट्रवीर महाराजा सुहेलदेव के }ारा दे”ा, धर्म, समाज ,वं संस्कृति की र{ाा के लि,
              की Ûई सेवाओं से रा‘‘ट्रजनों को अवÛत कराना ,वं राजभर समाज के प्रत्येक व्यक्ति
              व परिवार का रा‘‘ट्रवीर महाराजा सुहेलदेव ट्रस्ट से जोड़ना या जुड़ने के लि, प्रेरित
              करना।
5-2           सदस्यता की निर्धारित श्रे.िायों के अनुसार सदस्यों, दान-दाताओं, सरकारी-Ûैर
              सरकारी संस्थाओं से अधिकतम आर्थिक सहयोÛ(नÛद रा”िा अथवा चल संपत्ति) प्राप्त
              कर रा‘‘ट्रवीर महाराजा सुहेलदेव ट्रस्ट को आर्थिक रुप से अधिक से अधिक समृ)
              बनाना ,वं सदस्यों }ारा प्रदत्त मूल सदस्यता रा”िा अथवा चल-अचल सम्पत्ति को
              र्पू.ातः सुर{िात रखते हु, उसके ब्याज अथवा अतिरिक्त आय को राजभर समाज को
              हर {ो= में आत्मनिर्भर बनाने हेतु “ौ{िाक, आर्थिक, सामाजिक, ,ेतिहासिक, धार्मिक,
              सांस्कृतिक, स्व-जाति ,वं रा‘‘ट्र Ûौरव के प्रचार-प्रसार अर्थात सूचना-प्रसार.ा ,वं
              प्रका”ान आदि {ो=ों (जिनका विवर.ा बिन्दु 5(3)में दिया Ûया है) में विकास कार्यों में
              लÛाना। ट्रस्टके किसी भी प्रकार के धन को राजनैतिक {ो= में उपयोÛ (यथा-किसी भी
              स्वजाति, विजातीय नेता या किसी भी राजनैतिक दल को चुनाव फ.ड या अन्य मद में
              देना) र्पू.ातः प्रतिबंधित रहेÛा किन्तु ट्रस्ट या राजभर समाज हित में किसी भी राजनेता
              या किसी भी राजनैतिक दल }ारा उनके सहायता फ.ड से ट्रस्ट को अनुदान में दी
              जाने वाली रा”िा को ट्रस्ट }ारा स्वीकार किया जाना ट्रस्ट का राजनीतिकर.ा नहीं
              माना जा,Ûा। इसी प्रकार ट्रस्ट }ारा ट्रस्ट स्व-समाज हित में अपने किसी कार्यक्रम में
              किसी भी राजनैतिक दल के व्यक्ति जो कि किसी भी स्तर पर की विधायिका या
              कार्यपालिका से संबंधित हो या किसी भी दल की लोकप्रिय “ाख्सियत हो को कार्यक्रम
              की अध्य{ाता, मुख्य आतिथ्य आदि के लि, बुला, जाने ,वं उस व्यवस्था पर धनरा’िा
              व्यय कि, जाने को राजनैतिक {ो= पर व्यय नहीं माना जा,Ûा।
5-3           सदस्यों }ारा जमा मूल धन रा”िा ट्रस्ट म.डल }ारा अनुसूचित बैंक या पोस्ट आफिस में
              थ्नवे”ा से ब्याज में प्राप्त धन अथवा चल-अचल सम्पत्ति से प्राप्त अतिरिक्त आय
              अथवा दान-दाताओं }ारा समय समय पर दान में दी Ûई रा‘िा या अतिरिक्त मदों में
              प्राप्त रा”िा के उपयोÛ के लि, व्यय ,वं व्यय {ो= के मानद.ड तय करना, व्याख्या
              करना ,वं सलाह हेतु पृथक-पृथक समिति/उपसमिति Ûठित करना, उन समितियों/
              उपसमितियों }ारा की Ûई सिफारि”ाों की समी{ाा कर कार्य रुप में परि.िात करना,
              यथा-
’िा{ाा {ो=:- संसाधन हीन Ûरीब ,वं प्रतिभा”ााली छा=-छा=ाओं को छा=वृत्ति, पारितो‘‘ाक
               व्यवस्था, हर स्तर की प्रतियोÛिता, परी{ााओं हेतु प्र”िा{ा.ा व्यवस्था, सलाह अथवा
               आर्थिक सहायता, ट्रस्ट }ारा सभी स्तर के ”िा{ा.ा संस्थानों के निर्मा.ा ,वं संचालन,
               मुख्य रुप से रोजÛार परक ”िा{ाा व्यवस्था, महिला ”िा{ाा को बढावा देना ,वं हर {ो=
               में महिलाओं की सहभाÛिता को बढावा देना अर्थात महिला ,वं बाल विकास को
               प्राथमिकता देना। Ûरीब ,वं आदिवासी, दलित वर्Û छा=-छा=ाओं को छा=ावास
               व्यवस्था।
आर्थिक {ो=:-संसाधन हीन राजभर समाज को अपना जीवन यापन ,वं जीवन स्तर सुधारने के
              लिये Û्रामी.ा ,वं “ाहरी {ो=ों के वासियों के स्तर के अनुसार आर्थिक दृ‘ि‘ट से
              स्वावलंबी बनाने हेतु बेरोजÛारी दूर करने के संसाधन जुटाना, Ûाॅव में स्थानीय
              संसाधनों के आधार पर कुटीर उद्योÛ स्थापित करना तथा प्र”िा{ा.ा की व्यवस्था करना
              अथवा रोजÛारोन्मुख कार्यक्रमों में मदद। कृ‘‘ाकों को कृ‘ि‘ा से जुड़े धंधों की जानकारी
              देकर आय वृ)ि आदि अर्थात प्रत्य{ा-अप्रत्य{ा रुप से Ûरीबों को रोजी-रोटी, कपड़ा
              और मकान उपलब्ध कराने की दि”ाा में कार्य।
सामाजिक {ो=:-समाज की Ûरीब कन्याओं के विवाह हेतु आर्थिक मदद, सामूहिक विवाह
              आयोजन, स्वास्थ्य ”िाविर यथा ने=दान, रक्तदान आयोजन, समाज में फै”ान, फिजूल
              खर्च, बाल विवाह, दहेज, विवाह में अपव्यय, मृतक भोज आदि ढेरों विकृत रीति रिवाजों,
              कुरीतियों, मूढ मान्यताओं से मुक्ति दिलाने का प्रयास, उत्कृ‘‘ट समाज सेवियों का
              राजभर-रत्न, राजभर भू‘‘ा.ा, राजभर बन्धु उपाधि से सम्मान, समाज के सबसे बुजुर्Û
              किन्तु स्वस्थ दम्पत्ति का सम्मान आदि। वृ)ाश्रम, विधवा आश्रम, अनाथालय आदि
              निर्मा.ा संचालन ,वं सुर{ाा। सैनिक विधवाओं को आर्थिक मदद।
स्वास्थ्य {ो=:-चेरीटेबल अस्पताल संचालित कर सर्व समाज के Ûरीब तबके के लोÛों का
           स्वास्थ्य सुधार कार्य।
सांस्कृतिक {ो=:- स्व जाति महापुः‘‘ाों की जयंती, पु.यतिथि आदि का आयोजन, ,ेतिहासिक
              महापुः‘‘ाों के नाम पर ”िा{ाा के विभिन्न वि‘‘ायों पर पदक आदि की व्यवस्था आदि।
              सांस्कृतिक केन्द्रों के माध्यम से प्राचीन भारतीय सभ्यता, संस्कृति ,वं Ûौरव का प्रचार
              प्रसार। भारतीय संस्कृति की र{ाा ,वं प्रचार प्रसार।
,ेेितहासिक ,वं धार्मिक {ो=:-स्व जाति इतिहास, ,ेतिहासिक स्थल, हर प्रकार की ,ेतिहासिक
              धरोहर आदि को सुर{िात रखने का कार्य, राजभर-”ाोध संस्थान, पुस्तकालय स्थापना,
              स्व जाति महापुः‘‘ाों की जन्म स्थली, ,ेतिहासिक स्थलों को पु.य {ो= (धर्म {ो=),
              पर्यटन {ो= के:प में विकसित करना, स्व-जाति महापुः‘‘ाों के प्रति श्र)ा, वि’वास 
              ,वं आराध्य भावना उत्पन्न करना, य= त= जनोपयोÛी भवनों का निर्मा.ा, महापुः‘‘ाों
              की प्रतिमाओं की स्थापना आदि। आत्मिक विकास का प्रयास।
प्रचार प्रसार तं= ,वं लेखन साहित्य सृजन {ो= -
           राजभर समाज के महत्वर्पू.ा ,ेतिहासिक, साहित्यिक, धार्मिक Û्रन्थों का प्रका”ान ,वं
              विक्रय व्यवस्था, प्रचार प्रसार में योÛदान करने वाले प्रका”ानों के प्रका”ान में आर्थिक
              ,वं प्रचार प्रसार में सहयोÛ, लेखन में पुः”कार की व्यवस्था, साहित्यिक उपाधि प्रदाय
              व्यवस्था।
5-4           सरकार अथवा सरकारों, Ûैर सरकारी / सरकारी संस्थाओं के जन कल्या.ाकारी कार्यों
              में योÛदान देना यथा प्राकृतिक आपदाओं, मानव जन्य आपदाओं से निपटने के लि,
              सरकारी/Ûैर सरकारी को हर प्रकार का सहयोÛ करना। वृ{ाारोप.ा, पर्यावर.ा “ाु)ि में
              सहयोÛ।
5-5           राजभर समाज के कल्या.ा के वे बिन्दु जो 5(1ं) से 5(4) तक के बिन्दु में समाहित नहीं
              हो पा, किन्तु आव”यक है (राजनैतिक {ो= को छोड़कर) उन पर विचार मंथन कर
              समाहित करना। रा‘‘ट्रवीर महाराजा सुहेलदेव ट्रस्ट का मुख्य उद्दे”य राजभर समाज
              का सर्वांÛी.ा विकास करना है। अत,व ट्रस्ट इसी दि”ाा में कार्य करेÛा।
6- ट्रस्ट म.डल के अधिकार ,वं कर्तव्य:-
6-1           ट्रस्ट सदस्यों से सदस्यता “ाुल्क अथवा सम्पत्ति के:प में दान प्राप्त कर सकेÛा और
              इस प्रकार से प्राप्त सदस्यता “ाुल्क-सम्पत्ति अनुसूचित बैंकों अथवा पोस्ट आफिस की
              रा”िावर्धक समयावधि योजनाओं में निवे”ा कर सकेÛा और निवे”ा से प्राप्त अतिरिक्त
              आय का उपयोÛ ट्रस्ट अपनी इच्छा ,वं र्नि.ाय के अनुसार ट्रस्ट के उद्दे”य की पूर्ति
              के लि, कर सकेÛा। इसमें धनरा”िा का उपयोÛ तो निहित उद्दे”यों की पूर्ति के लि,
              कर सकेÛा किन्तु प्राप्त चल-अचल सम्पत्ति को मूल सम्पत्ति की तरह मान्यता होÛी।
6-2           ट्रस्ट अपने कार्य, कार्यक्रमों ,वं उद्दे”यों की पूर्ति हेतु “ाासन से भी अनुदान रा”िा
              अथवा चल अचल सम्पत्तियों को प्राप्त कर सकेÛा किन्तु “ाासन का सहयोÛ
              सामान्यतः निः”ार्त होने की अवस्था में ही स्वीकार किया जा,Ûा। “ाासन से भूमि
              इत्यादि अचल सम्पत्ति की प्राप्ति पर इस हेतु निर्धारित “ाुल्क का भुÛतान ट्रस्ट }ारा
              किया जा,Ûा।
6-3            यह कि ट्रस्ट अपने कार्य विधि संचालन हेतु नियम, उपनियम बना सकेÛा और उनमें
               आव”यक परिवर्तन भी कर सकेÛा किन्तु ,ेसे नियम/उपनियम बनाने में ?ाो‘ि‘ात
               उद्दे”यों की परिधि का उल्लं?ान नहीं किया जा,Ûा।
6-4            यह कि ट्रस्ट }ारा उद्दे”यों की पूर्ति हेतु भवन/भवनों का निर्मा.ा किया  जा सकेÛा
               अथवा भवन/भवनों को सामंजस्य पूर्वक नियमानुसार स्वेच्छा से अधिकृत किया जा
               सकेÛा अथवा दान स्वःप अथवा अन्य सुसंÛत नियमों के अन्र्तÛत ट्रस्ट सम्पत्ति केे
               अन्र्तÛत लिया जा सकेÛा। ट्रस्ट के उद्दे”य पूर्ति हेतु भवन इत्यादि किरा, पर भी
               लि, जा सकेंÛे। ट्रस्ट के उद्दे”य की पूर्ति हेतु आव”यकता पड़ने पर बैंक/वित्तीय
               संस्थानों से ब्याज मुक्त या ब्याज युक्त ऋ.ा ट्रस्ट की सम्पत्तियों के तार.ा पर या
               अन्य:प से प्राप्त किया जा सकेÛा। परन्तु बैंकों अथवा वित्तीय संस्थाओं के अलावा
               अन्य व्यक्तियों से भी ब्याज मुक्त या ब्याज युक्त ऋ.ा लिया जा सकेÛा परन्तु इस
               हेतु ट्रस्ट की किसी संपत्ति को बंधक नहीं रखा जा सकेÛा। यह कि ट्रस्ट अपने
               उद्दे’यों की पूर्ति हेतु जमीन जायदाद इत्यादि स्थायी ,वं अन्य अस्थायी सम्पत्तियों
               का क्रय कर सकेÛा।
6-5            यह कि ट्रस्ट अपने कार्यक्रमों उद्दे”यों की पूर्ति हेतु विभिन्न समितियों ,वं उप
               समितियों का निर्मा.ा भी कर सकेÛा जिसमें ट्रस्टी /ट्रस्टियों के अतिरिक्त अन्य
               सक्रिय सेवाभावी, धीर Ûंभीर, संयमी, निस्पृह, वि}ान, समाज में अच्छी छबि वाले
               सज्जनों का भी समावे”ा किया जा सकेÛा। उन समितियों/उपसमितियों हेतु
               नियम/उपनियम ट्रस्ट म.डल के }ारा बना, जा सकेंÛे जो समितियों/उपसमितियों
               हेतु र्पू.ातः बन्धन कारक होंÛे। समितियों/उपसमितियों को भंÛ करने अथवा पुर्नÛठन
               करने का अधिकार ट्रस्ट म.डल को होÛा जिसे समितियों/उप समितियों के
               पदाधिकारी चुनौती नहीं दे सकेंÛे।
6-6            यह कि यह ट्रस्ट निर्धारित नियमों ,वं मर्यादाओं के अनुःप अपने समान उद्दे”यों के
               अनुःप अपने समान उद्दे”यों वाले स्वजाति ट्रस्टों/संÛठनों को आर्थिक ,वं अन्य
               सहयोÛ अपने समान उद्दे”यांें की पूर्ति हेतु अनुदान के:प में दे सकेÛा ,वं ,ेसे ही
               ट्रस्ट आर्थिक सहयोÛ ,वं अनुदान ले सकेÛा।
6-7            यह कि ट्रस्ट सामान्यतः अपना कार्य भावना”ाील समयदानियों }ारा चला,Ûा और {ो=
               से समयदानी खोजने, प्र”िा{िात करने तथा नियोजित करने के लि, प्रयत्न”ाील रहेÛा
               परन्तु आव”यकतानुसार कार्यकर्ताओं ,वं कर्मचारी की नियुक्ति भी कर सकेÛा। ,ेसे
               कर्मचारियों की सेवा समाप्त करने, पदच्युत करने , पद से पृथक करने अथवा निलंबन
               करने का अधिकार भी ट्रस्ट म.डल को होÛा।
6-8            यह कि उपरोक्त उद्दे”यों की पूर्ति के लि, ट्रस्ट म.डल ट्रस्ट की “ााखा/”ााखाओं,
               समाज के विभिन्न संÛठनों को भी प्रेरित करेÛा ,वं उनके आÛ्रह पर निर्धारित
              :परेखा के अधीन रहते हु,, प्रत्येक कार्यक्रम के लि, स्थानीय आव”यकतानुसार
               कार्ययोजना बनाने, योजना को क्रियान्वित करने/कराने कार्यक्रम के संचालन के लि,
               समुचित मार्Ûदर्”ान हेतु प्र’िा{ा.ा की व्यवस्था बनाने तथा व्यवहारिक अनुसंधान करने
               का भी कार्य ट्रस्ट करेÛा तथा आव”यक हुआ तो अपने व्यय फ.ड से धनरा”िा भी
               उपलब्ध करायेÛा।
6-9            यह कि ट्रस्ट इस बात का वि”ो‘‘ा ध्यान रखेÛा कि ट्रस्ट के उद्दे”यों तथा कार्यक्रमों
              की पूर्ति तथा सफलता के लि, जन जाÛर.ा, प्रचार प्रसार ,वं ”िा{ा.ा प्र”िा{ा.ा की
              व्यवस्था पर अधिकाधिक “ाक्ति लÛाई जा,। ट्रस्ट अपनी क्रियाविधि, कार्यकलापों ,वं
              प्रÛति की जानकारी समय≤ पर जयंतियों, सम्मेलनों अथवा किसी वि”ो‘‘ा कार्यक्रमों
              में उपस्थित स्वजाति समूह में अपने प्रतिनिधि के माध्यम से अथवा ,ेसे माध्यम से देता
              रहे जिससे अधिक से अधिक लोÛों को इसकी जानकारी हो सके ,वं समूह }ारा कि,
              Û, उचित सुझावों पर भी विचार करे। समाज अथवा समाज के अन्य संÛठनों से
              संवादहीनता की स्थिति न रहे, इसके लि, ट्रस्ट वि”ो‘‘ा ध्यान रखेÛा। चूकिं यह पु.यार्थ
              प्रकृति का ट्रस्ट है, अत,व स्व समाज के हित को प्राथमितकता देते हु, बिना किसी
              जाति, लिंÛ, सम्प्रदाय भेद के सार्वजनिक हित के भी काम करेÛा।
6-10          ट्रस्ट, ट्रस्ट म.डल की विधिवत सर्वानुमति से प्रस्ताव पास कर अनुपयोÛी चल-अचल
              सम्पत्ति का विक्रय कर उपयोÛी चल-अचल सम्पत्ति क्रय कर सकेÛा अथवा
              अनुपयोÛी चल-अचल सम्पत्ति का विक्रय कर उस नÛद रा”िा को सुर{िात फ.ड में
              निवे”ा कर सकेÛा।
6-11          ट्रस्ट म.डल को ट्रस्टीÛ.ा या कार्यकर्ताओं केे बीच कार्य वितर.ा का अधिकार होÛा।
6-12          ट्रस्ट के उद्दे”यों की पूर्ति के लि, ट्रस्ट म.डल को भारत में कहीं भी ट्रस्ट की
              “ााखा,ॅ खोलने या बन्द करने का अधिकार होÛा।
7- ट्रस्ट फ.ड:-यह कि फ.ड के:प में ट्रस्ट के संस्थापक/संस्थापकों }ारा:पयंे 18500 रा”िा
   ट्रस्ट को प्रदान की Ûई है और आ”ाा की जाती है कि यह पूंजी सदैव बढ़ती रहेÛी। अपने आय के
   उचित स्र्रोतों को ट्रस्ट विकसित करता रहेÛा और ?ाो‘ि‘ात उद्दे”यों के लि, भावनापूर्वक दि, Û,
   सदस्यता “ाुल्कों, दानों, उपहारों, अनुदानों इत्यादि को भी स्वीकार करेÛा। ट्रस्ट फ.ड ट्रस्ट की
   सम्पत्ति निम्नानुसार रहेÛी।
7-1 सुर{िात फ.ड या मूल धन रा’िा:-
7-1(क)         संस्थापक/संस्थापकों }ारा प्रदत्त नÛद धनरा”िा या चल-अचल संपत्ति।
7-1(ख)         सदस्यों से सदस्यता “ाुल्क:प में प्राप्त नÛद रा”िा या चल-अचल संपत्ति। सदस्यों
               का वर्Ûीकर.ा निम्नानुसार है।               (01-01-2011 से लाÛू सं”ाोधित नाम ,वं रा”िा)
               सामान्य सदस्य (Û्रामी.ा) - दस:प,          प्राथमिक सदस्य- पाँच सौ रुपये
               सामान्य सदस्य (”ाहरी)        - ,क सौ:प,       सामान्य सदस्य- ,क हजार रुपये
               वि”िा‘‘ट सदस्य               - ,क हजार :प,    वि”िा’ठ सदस्य- पाँच हजार रुपये
               अति वि”िा‘‘ट सदस्य    - पाॅच हजार:प,   अतिवि”िा’ठ सदस्य-ग्यारह हजार रुपये
               परम वि”िा‘‘ट सदस्य    - दस हजार:प,    परमवि”िा’ठ सदस्य-इक्कीस हजार रु-
               संर{ाक सदस्य         - पच्चीस हजार रुपये  संर{ाक सदस्य- इन्क्यावन हजार रु-
               सदस्यता “ाुल्क सदस्यों को अपने जीवन काल में ,क बार ही देना होÛा। वि”िा‘‘ट,
               अति वि”िा‘‘ट ,वं परम वि”िा‘‘ट सदस्य यदि ,कमु”त रा”िा जमा नहीं कर सकते तो
               उन्हें कि”तों में सुविधानुसार ,क व‘र्‘ा के अन्दर रा”िा जमा करनी होÛी। सदस्य कभी
               भी अपनी सदस्यता से उच्च सदस्यता श्रे.ाी प्राप्त करने के लि, अन्तर की रा”िा जमा
               कर उच्च सदस्यता श्रे.ाी प्राप्त कर सकते हैं।
7-1(Û)         किन्हीं भी दान दाताओं, सरकारी/Ûैर सरकारी संस्थाओं, सामाजिक संÛठनों आदि से
              ट्रस्ट फ.ड में प्राप्त चल-अचल सम्पत्ति अथवा सुर{िात फ.ड से अभिवृ)ि के:प में
              अर्जित चल-अचल सम्पत्ति अथवा र्पू.ातः अनुपयोÛी होने पर ट्रस्ट म.डल की
              सर्वानुमति से विक्रय की Ûई चल-अचल सम्पत्ति से प्राप्त धनरा”िा से क्रय र्पू.ातः
              उपयोÛी चल-अचल  सम्पत्ति। उपरोक्त ट्रस्ट फ.ड केवल ट्रस्ट फ.ड की
              अभिवृ)ि/बढ़ोतरी के लि, निवे”ा किया जा सकेÛा, किसी उद्दे”य की पूर्ति के लि,
              व्यय नहीं ताकि मूल ट्रस्ट फ.ड सदैव सुर{िात रहे और उसके निवे”ा से प्राप्त
              अतिरिक्त रा”िा व्यय योग्य फ.ड में हस्तान्तरित कर उद्दे”य की पूर्ति हेतु उपयोÛ
              किया जा सके।
7-2 व्यय योग्य ट्रस्ट फ.ड:- निम्नानुसार प्राप्त ट्रस्टफ.ड की Û.ाना, व्यय योग्य ट्रस्ट फ.ड में 
                                की जा सकेÛी।
7-2(क)        सुर{िात फ.ड या मूलधन के निवे”ा से प्राप्त बढ़त रा’िा।
7-2(ख)        किन्हीं भी दानदाताओं, सरकारी/Ûैर सरकारी संस्थाओं, राजनेता/राजनैतिक संÛठन,
              सामाजिक संÛठन/संÛठनों, सरकार/सरकारों से नÛद के:प में प्राप्त दान, उपहार,
              अनुदान इत्यादि।
7-2(Û)         किसी मद या कार्यक्रम वि”ो‘‘ा या प्रयोजन में व्यय व्यवस्था के लि, समय≤ पर
              किसी से भी लिया Ûया चन्दा या सहायता, अनुदान, उपहार रा”िा आदि।
7-3           संस्थापक, ट्रस्टी, संर{ाक व उनसे संबंधितों को ट्रस्ट से लाभ अर्जन पर
            प्रतिबंध-
              संस्थापक ट्रस्टी, संर{ाक या उनके परिवार वाले या उनसे सबंधित व्यक्ति ट्रस्ट के
              लि, की जा रही सेवाओं के लि, या उनके }ारा स्वेच्छा से किये जा रहे किसी भी
              प्रकार के व्यय को ट्रस्ट से वापिस पाने को अपना अधिकार या पा=ता नहीं समझेंÛे
              और न ही कोई ट्रस्टी, ट्रस्ट के नाम पर व्यक्तिÛत र्नि.ाय लेकर ट्रस्ट को हानि
              पहुॅचायेंÛे।
8- ट्रस्ट फ.ड का निवे’ाः-ट्रस्ट म.डल समय≤ पर सुर{िात ट्रस्ट फ.ड का निवे”ा
    अनुसूचित बैंकों, पोस्ट आफिस तथा आयकर अधिनियम या परिवर्तित प्रावधानों के अन्र्तÛत निर्दि‘‘ट
    मदों में ही कर सकेÛा। इन विनियोÛों का संचालन जिस प्रकार ट्रस्ट के बैंकिंÛ खातों का संचालन
    किया जाता है, उसी प्रकार किया जा सकेÛा। ट्रस्ट फ.ड के मूल धन से प्राप्त ब्याज से ट्रस्ट के
    उद्दे”यांे की पूर्ति हेतु समय≤ पर अचल सम्पत्तियों का क्रय ,वं निर्मा.ा भी किया जा
    सकेÛा। सुर{िात फ.ड की चल-अचल सम्पत्ति के निवे”ा से, यदि सुर{िात फ.ड की धनरा”िा की
    तरह ही यदि आय का साधन बनता है तो ट्रस्ट आय प्राप्त करने के लिये चल-अचल सम्पत्ति का
    निवे’ा भी कर सकेÛा।
9- बैंक खाते ,वं उनका संचालनः-ट्रस्ट के बैंक खाते, ट्रस्ट के नाम पर किसी भी रा‘‘ट्रीयकृत,
   अनुसूचित बैंक अथवा पोस्ट आफिस में खोले जा,ंÛे। इनका संचालन मुख्य प्रबंधक ट्रस्टी/मुख्य
   ट्रस्टी ,वं सहायक प्रबंधक ट्रस्टी दोनों मंे से किसी ,क ,वं “ो‘‘ा ट्रस्टियों में से ट्रस्ट म.डल }ारा 
   अधिकृत दो ट्रस्टियों में से किसी ,क ट्रस्टी के संयुक्त हस्ता{ारों से किया जा,Ûा। इस हेतु म.डल
   अपनी सभा से दो ट्रस्टियों को सर्वानुमति अथवा बहुमत से अधिकृत करेÛा। आव”यकता पड़ने पर
   ट्रस्ट म.डल अधिकृत ट्रस्टियों में फेरबदल भी सर्वानुमति अथवा बहुमत से कर सकेÛा। ट्रस्ट की
   चल सम्पत्तियों, सोने-चाॅदी अथवा बहुमूल्य धातु या बहुमूल्य नÛीनों आदि के जेवरात वगैरह उनकी
   सुर{ाा के लि, बैंक में लाकर किरा, पर लि, जा सकेेंÛे तथा इनका संचालन भी बैंक खातों के 
   संचालन मुताबिक ही किया जा सकेÛा। ट्रस्ट की “ााखा/”ााखाओं को ट्रस्ट म.डल की अनुमति से
   बैंक खाते खोलने ,वं उनके संचालन हेतु विभिन्न पदाधिकारियों की नियुक्ति भी संभव हो सकेÛी।
   “ााखा/”ााखा,ॅ अधिकृत {ो= से सदस्यों }ारा प्राप्त सदस्यता “ाुल्क अनुदान रा”िा सुर{ाा की दृ‘ि‘ट
   से इन खातों में जमा कर सकेÛे और हर तीन माह में (जनवरी से मार्च, अप्रेल से जून,
   जुलाई से सितंबर, अक्टूबर से दिसंबर) जमा हुई मूल सदस्यता “ाुल्क रा”िा, अनुदान रा”िा, वांछित
   विवर.ा सहित प्रधान कार्यालय को भेजेंÛे ताकि म.डल, उस रा”िा का निवे’ा कर सके। “ााखा/
   “ााखाओं }ारा प्रधान कार्यालय में जमा की Ûई मूल रा”िा के निवे”ा से प्राप्त ब्याज का पचास
   प््रति”ात “ााखा/”ााखाओं को प्रे‘ि‘ात किया जा,Ûा, जिसे “ााखा/”ााखा,ॅ अपने खातों में जमा करेंÛे,
   पूरा हिसाब किताब रखेंÛी और ट्रस्ट }ारा निर्धारित कल्या.ाकारी कार्यों में व्यय कर सकेंÛी। ट्रस्ट
   म.डल ब्याज वितर.ा निर्धारित वित्त व‘र्‘ा के अनुसार व‘र्‘ा में ,क बार कर सकेÛा।
10-ट्रस्ट के आय व्यय ,वं सम्पत्तियों से संबंधित:-
    यह कि चूंकि यह सेवा भावना से ओतप्रोत समाज कल्या.ाकारी ,क चेरीटेबल प्रकृति का ट्रस्ट है
    जो अपने स्थापित उद्दे”यांे ,वं कार्यक्रमों हेतु दान भी संÛ्रहित करेÛा। अतः इसका सही-सही
    हिसाब किताब रखना अति आव”यक होÛा। हिसाब किताब में मूल सदस्यता रा”िा, दान-अनुदान
    से प्राप्त रा’िा, किसी कार्यक्र्रम वि’ो‘‘ा के लि, अलÛ से लिया Ûया चंदा, निवे’ा से प्राप्त ब्याज
    रा”िा आदि का स्प‘‘टतः हिसाब किताब रखना आव”यक होÛा। आय-व्यय ,वं सम्पत्ति के स्थिति
    विवर.ा का ब्यौरा हर व‘र्‘ा बताना आव”यक होÛा। यह वित्तीय व‘र्‘ा की समाप्ति पर बताया जा,Ûा।
    हर व‘र्‘ा उसकी जाॅच पड़ताल ट्रस्ट म.डल }ारा नियुक्त प्र”िा{िात लेखाकार (चार्टड ,काउन्टेन्ट) से
    कराई जा,Ûी। कोई भी ट्रस्टी/ट्रस्ट का हिसाब किताब अपने पास नहीं रखेÛा। ट्रस्ट का हिसाब
    किताब ट्रस्ट के कार्यालय में ही रखा जा,Ûा। ट्रस्ट का सामान कोई भी ट्रस्टी व्यक्तिÛत उपयोÛ
    में नहीं लेÛा। ट्रस्ट की सम्पत्ति परमात्मा अथवा जनता जनार्दन की सम्पत्ति मानकर उसकी
    पवि=ता बनाई रखी जा,Ûी। ट्रस्ट की सम्पत्ति हेतु ,क स्टाक रजिस्टर रखा जा,Ûा, जिसमें सभी
    सम्पत्तियों का सही-सही ब्यौरा रहेÛा। यह स्टाक रजिस्टर मुख्य प्रबंधक ट्रस्टी ,वं सहायक
    प्रबंधक ट्रस्टी }ारा संयुक्त:प से हस्ता{ार कर समय≤ पर प्रमा.िात किया जा,Ûा।
    यह कि ट्रस्ट का सम्र्पू.ा हिसाब-किताब (आय-व्यय ब्यौरा ,वं स्थिति विवर.ा) ,वं चल अचल
    सम्पत्तियों का स्टाक रजिस्टर ट्रस्ट की मीटिं्रÛ में रखा जा,Ûा। ट्रस्ट म.डल के }ारा स्वीकृति के
    प”चात ट्रस्ट का हिसाब किताब सामान्य सभा की वा‘िर्‘ाक बैठक में प्रस्तुत किया जा,Ûा। यह हिसाब
    किताब सामान्य सभा के अनुमोदन के प”चात ट्रस्ट के संस्थापक/संस्थापकों को प्रे‘ि‘ात कर दिया
    जा,Ûा।
    यह कि ट्रस्ट के समस्त हिसाब किताब बही खातों के देखरेख सुव्यवस्था ,वं सुपर विजन हेतु 
    मुख्य ट्रस्टी, किसी भी ट्रस्टी  को नियुक्त कर सकेÛा। वैसे यह कार्य स्वयं मुख्य ट्रस्टी (मुख्य
    प्रबंधक ट्रस्टी) भी कर सकेÛा। ट्रस्ट के प्रतिव‘र्‘ा के बजट प्रोÛ्रामिंÛ हेतु ट्रस्ट म.डल की बैठक में
    चर्चा-विचार.ा हेतु रखा जा,Ûा ,वं तत्प”चात अनुमोदित ,वं स्वीकृत बजट को ट्रस्ट के कार्यक्रम
    उद्दे”यांे हेतु लÛाया जा,Ûा।
    यह कि ट्रस्ट की किसी भी अचल सम्पत्ति का हस्तान्तर.ा किसी कार.ाव”ा अनिवार्य समझा जा
    रहा हो तो उससे संबंधित न्यास अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार ट्रस्ट म.डल }ारा सर्वानुमति
    से उक्त अचल सम्पत्ति का हस्तान्तर.ा किया जा सकेÛा।
11- ट्रस्ट की कानून संबंधी व्यवस्थाः-यह कि ट्रस्ट अपने को राज्य में लाÛू सार्वजनिक
     न्यास अधिनियम ,वं विभिन्न कानूनों के अंर्तÛत जैसे आयकर विभाÛ ,वं अन्य सरकारी विभाÛ में
     टाव”यकतानुसार पंजीकृत करा,Ûा तथा आयकर आदि रिटर्न समय≤ पर दाखिल करेÛा।
     लाÛू होने वाले अन्य सरकारी कानूनी औपचारिकताओं को पूरा करता रहेÛा। इस हेतु ट्रस्ट
     समय≤ पर कानूनविदों की सलाह ,वं मार्Ûदर्”ान भी प्राप्त करेÛा।
12- ट्रस्ट की बैंठकें:-
12-1 ट्रस्ट म.डल की बैंठक - यह कि ट्रस्ट के कार्यों के संचालन हेतु मुख्य प्रबंधक ट्रस्टी
              समय≤ पर आव’यकतानुसार ट्रस्ट म.डल की बैंठकें आयोजित करेंÛे। परन्तु यह
              बैठक ़=ैमास में ,क बार अव’य होÛी। इस प्रकार व‘र्‘ा में ट्रस्ट म.डल की चार बैंठकें
              अव”य होंÛी, जिसकी सूचना नियमित समय के 7 दिन पूर्व सभी ट्रस्टी Û.ा को मुख्य
              प्रबंधक ट्रस्टी }ारा भेजी जा,Ûी। संभव हो तो ट्रस्टी की मीटिंÛ ट्रस्ट के कार्यालय
              में ही ली जायेÛी। इस मीटिंÛ में आव”यक समझे जाने पर ट्रस्टी Û.ा के अतिरिक्त
              अन्य परिजनों को आमं=ित सदस्य के:प में बुलाया जा सकेÛा। ट्रस्ट म.डल }ारा
              Ûठित समिति/उप समितियों के पदाधिकारी/पदाधिकारियों, सदस्य/सदस्यों को भी
              ट्रस्ट म.डल की मीटिंÛ में आव”यकतानुसार आमं=ित किया जा सकेÛा। मीटिंÛ अति
              टाव”यक होने पर ट्रस्टियों की सहमति से पाॅच दिन की पूर्व सूचना के बÛैर भी बुलाई
              जा सकेÛी। आव”यक होने पर प्रस्ताव को ट्रस्टियों के बीच वितर.ा ,वं अनुमोदन से
              भी पारित किया जा सकेÛा। ट्रस्ट की मीटिंÛ के कोरम पूर्ति हेतु दो तिहाई ट्रस्टी
              Û.ाों की उपस्थिति अनिवार्य है किन्तु यदि कोरम पूरा नहीं होता तो नियत तिथि की
              मीटिंÛ समय से आधे ?ांटे तक स्थÛित की जा,Ûी। आधे ?ांटे प’चात फिर मीटिंÛ की
              कार्रवाई “ाुः की जा सकेÛी। मीटिंÛ की कार्रवाई पुनः “ाुः होने पर यदि कोरम पूरा
              नहीं होता तो ,ेसी द”ाा में मीटिंÛ स्थÛित नहीं होÛी किन्तु कम से कम आधे ट्रस्टी
              Û.ाों की उपस्थिति अनिवार्य होÛी अन्यथा मीटिंÛ अÛली तिथि की सूचना तक स्थÛित
              हो जायेÛी। यह कि ट्रस्ट के ट्रस्टियों की संख्या वि‘‘ाम में है। अतः उपरोक्तानुसार दो
              तिहाई अथवा आधे की Û.ाना हेतु ,क से कम वाली संख्या को ,क माना जायेÛा।
              यह कि मुख्य प्रबंधक ट्रस्टी ट्रस्ट की सभी मीटिंÛ का अध्य{ा होÛा। मुख्य प्रबंधक
              ट्रस्टी की अनुपस्थिति में सहायक प्रबंधक ट्रस्टी ट्रस्ट की मीटिंÛ का अध्य{ा होÛा।
              दोनों की अनुपस्थिति में उपस्थित ट्रस्टी अपने में से किसी ,क को उस मीटिंÛ के
              लि, सर्वानुमति अथवा बहुमत से अध्य{ा चुन लेंÛे। किसी भी मीटिंÛ में मत विभाजन
              की स्थिति में यदि किसी प्रस्ताव के प{ा विप{ा में बराबरी के मत होते हैं, तो मीटिंÛ के
              अध्य{ा को र्नि.ाायक मत देने का अधिकार होÛा।
              यह कि ट्रस्ट की मीटिंÛ में पारित प्रस्तावों ,वं र्नि.ायों को कार्रवाई रजिस्टर में दर्ज
              किया जावेÛा। मीटिंÛ के लिये Ûये र्नि.ायों पर ट्रस्टीÛ.ा सामूहिक ,वं व्यक्तिÛत:प
              से र्नि.ायों के क्रियान्वयन हेतु सदैव प्रयासरत रहेंÛे।
12-2 सामान्य सभा की बैठक:- सामान्य सभा की सामान्यतः छः माही में बैठक अव”य होÛी
              परन्तु संयुक्त समन्वय समिति की संस्तुति पर यह बैठक आव’यकतानुसार कभी भी
              बुलाई जा सकती है। सामान्य सभा की बैठक मुख्य ट्रस्टी /मुख्य प्रबंधक ट्रस्टी अथवा
              उसके नामित व्यक्ति }ारा बुलाई व संचालित की जायेÛी। सामान्य सभा ट्रस्ट के
              कार्यकलापों की समी{ाा करेÛी और उसके उद्दे”यों को आÛे बढ़ाने के लि, आव”यक
              सुझाव देÛी।
12-3 संयुक्त समन्वय समिति की बैठकः- संयुक्त समन्वय समिति की बैठक सामान्यतः
              तिमाही होÛी। समिति की बैठक मुख्य ट्रस्टी (मुख्य प्रबंधक ट्रस्टी) अथवा उसके नामित
              व्यक्ति }ारा बुलाई व संचालित की जा,Ûी।

13- ट्रस्ट के विलय संबंधी:- यह कि आव”यकता होने पर ट्रस्ट म.डल }ारा स्वीकृत
     समान उद्दे”य वाले किसी अन्य स्वजाति ट्रस्ट का विलय इस ट्रस्ट में कानूनी औपचारिकता,ॅ 
     र्पू.ा कर किया जा सकेÛा। इसी प्रकार आव”यक होने पर ट्रस्ट म.डल }ारा स्वीकृत इस ट्रस्ट
     का विलय समान उद्दे’य वाले किसी अन्य स्वजाति ट्रस्ट में  कानूनी औपचारिकता,ॅ र्पू.ा कर
     लिया जावेÛा। इस विलय के लि, सर्व संस्थापक/संस्थापकों की सहमति आव”यक है। यदि
     संस्थापक/संस्थापकों की मृत्यु हो चुकी हो तो उनके उत्तराधिकारी/उत्तराधिकारियों से सहमति
     लेनी होÛी। विलय की स्थिति में विलीन होने वाले ट्रस्ट की सारी चल ,वं अचल संपत्ति विलेय
     ट्रस्ट की हो जायेÛी ,वं दस्तावेज में आव”यक परिवर्तन विलेय ट्रस्ट के प{ा में करा लि, जायेंÛे।
14 ट्रस्ट के असफल होने, अराजकता उत्पन्न होने पर ट्रस्ट फ.ड का
   उपयोÛः-यदि किसी कार.ाव”ा ट्रस्ट में अराजकता उत्पन्न होती है और ट्रस्ट असफल होता
     है ,वं उसमें सुधार की कोई Ûुंजाई”ा नहीं रहती तब  रा‘‘ट्रवीर महाराजा सुहेल देव ट्रस्ट की
     सम्र्पू.ा मूल लि, बैंक, पोस्ट आफिस में निवे”ा किया जा,Ûा और अन्य प्रसि) संस्थाओं यथा साहित्य

     अकादमी, ज्ञानपीठ आदि के समान रा‘‘ट्रवीर महाराजा सुहेलदेव भर पुःस्कार देने की योजना

     प्रारंभ कर दी जा,Ûी ,वं ,ेसी योजना के लि, Ûैर सरकारी स्तर पर जो प्रावधान होÛे वह

     अपना, जायेंÛे।

15- ट्रस्ट संस्थापक/संस्थापकों ?ाो‘‘ा.ााः-यह कि उपर्युक्त रा‘‘ट्रवीर महाराजा सुहेलदेव

     ट्रस्ट के संस्थापक यह ?ाो‘‘ा.ाा करता हूॅ/करते हैं कि मैंने/हमने उपर्युक्त ट्रस्ट का Ûठन ,वं

     निर्मा.ा बिना किसी बाहरी दबाब के स्वस्थ मनःस्थिति से आज दिनाॅक 09-02-2007 को  मृÛनयनी भवन (सामुदायिक भवन) सिहोरा, जिला जबलपुर (म-प्र-) 483225 भारत में बैठक कर किया   है जो लिखित:प में उपरोक्तानुसार है।



     क्रमांक   संस्थापक/संस्थापकों के नाम          पूरा पता                             हस्ता{ार



      1       आचार्य ”िावप्रसाद सिंह राजभर म-नं- 2/234, आनंद भवन, सिहोरा

                                         जबलपुर (म-प्र-) 483 225

      2       श्री ”िावपरसन राय            बी-28, कमला नेहरु नÛर, खुर्रम

              पूर्व कृ‘ि‘ा निर्दे’ाक             नÛर, लखनउ (उ-प्र-) 226022

           3       डाॅ- धने”वर राय              ,ल-6/192, सेक्टर ,म अलीÛंज

              संयुक्त निर्दे’ाक               लखनउ (उ-प्र-) 226024

      4   

            श्री सुभा‘‘ा कुमार प्रसाद           दूरदर्”ान केन्द्र, मउ (उ-प्र-)

              वरि‘‘ठ अभियां=िकी सहायक

      5       श्री बीरबल राम               Û्रा-पो- अनौनी, जि- Ûाजीपुर (उ-प्र-)

               (मा-वा-आ-)

      6       श्री यदुनंदन प्रसाद             Û्राम बजरिया, पो- सलेमपुर,

              (रिटा- दरोÛा)                 जिला देवरिया (उ-प्र-)

      7       श्री हरिलाल भार”िावा          म-नं- 20, ’ांकर कालोनी, निकट फलाई

              आयकर अधिकारी             ओवर चैक, ओल्ड डी-सी- रोड,

                                          सोनीपत (हरिया.ाा)

      8       श्री राजे”ा कुमार सिंह          म-नं- 93, “यामापल्ली कालोनी,

                (बी-,च-ई-,ल)               क्र्रस्टल केम्पस के पास, खजूरी

                                          कला, पो- पिपलानी, भोपाल (म-प्र-)

      9       श्री जÛदी”ा चैधरी            मार्फत-”ार्मा खादी भंडार,

              रिटा- प्रधान अध्यापक          सिंहे’वर, जिला मधेपुरा (बिहार)

     10        श्री वी- पी- राज              बैकु.ठनÛर, भिलाई, दुर्Û (म-प्र-)

               (अध्यापक)

            11-       श्री Ûोरेलाल पटैल                  पाठक वार्ड, कंदेली, नरसिंहपुर (म-प्र-)

                 पूर्व पा‘र्‘ाद

     

       12-       श्री श्रीराम राजभर                  Û्रा-पो- दौलतनÛर Ûाजीपुर (उ-प्र-)   

 

        13-        श्री Ûोपीलाल चैधरी              राजविराज, नÛरपालिका-7,

                   रिटा- पुलिस इंस्पेक्टर            लीलजाटोल, जिला सप्तरी, नेपाल



        14        श्री भÛवत सिंह राजभर              राजविराज, नÛरपालिका-7,

                  रिटा- प्रधान अध्यापक              लीलजाटोल, जिला सप्तरी, नेपाल



        15         श्री लौहर राजभर                 हरिओम धान्य भ.डार के सामने,

                     व्यवसायी                      पोखर.ा रोड, नं- 2, ठा.ो, महारा‘‘ट्र

        16-   श्री “यामलाल राजभर (लेखाधिकारी)   म-नं- 2278, दुर्Ûा मन्दिर के पास, बजरंÛनÛर

                                               राॅँझी, पो-व्हीकल फेक्टरी, जबलपुर म-प्र-

        17-श्री तूफानी राजभर                             “ाास्=ी मार्केट, भिलाई, (छ-Û-)

        18-श्री कमला राजभर (रिटा- फौजी)   प्लाट नं- 10, न्यू आजादनÛर, पब्लिक स्कूल ,सतभरी रोड, कानपुर उ-प्र-

        19-श्री अच्छेलाल राजभर (मलेरिया इन्स्पेक्टर)  Û्राम-कछपुरा, पो-Ûोसलपुर, तह-सिहोरा, जिला-जबलपुर म-प्र-

        20- श्री “यामलाल राजभर (फोन मेकेनिक)  प्लाट नं- 32,, विमल स्कूल के सामने वाली Ûली, राजनÛर, कर्रही, कानपुर उ-प्र-

        21- श्री ”िावबालक राजभर (रिटायर लेखाधिकारी),  म-नं-2/230, ,-जी- कालोनी, पो-आ”िायाना नÛर ,पटना बिहार

        22- श्री अंजूकुमार राजभर, Û्राम-मोहनिया, पोस्ट-ÛांधीÛ्राम, जिला-जबलपुर म-प्र-

        23- श्री रामदयाल राजभर (इनकी मृत्यु हो चुकी है), Û्राम-पो-बरहटा, जिला-नरसिंहपुर म-प्र-

        24-श्री रामभजन राजभर Û्राम-मेहियापार, पो-सारैन अहरौला , जिला-आजमÛढ़ उ-प्र-

        25-श्री रामअधार राजभर Û्राम-बनजरिया, पो-सलेमपुर, जिला-देवरिया उ-प्र-

        26-श्री बद्रीसिंह राजभर फूलपुर इलाहाबाद उ-प्र-

        27- श्री रामलखन भार}ाज ”िा{ाक , ,स-,फ- 1053, ,म-पी-ई-बी- कालोनी, सार.ाी जिला-बैतूल म-पं्र-

        28-श्री उपेन्द्रनाराय.ा म.डल, मार्फत-”ार्मा खादी भ.डार, सिंहे”वर जिला-मधेपुरा बिहार

        29-श्री दिने”ा श्रीनारय.ा भार}ाज, Û्राम-पो- माडÛी, तह-तुमसर, जिला-भ.डारा (महारा’ट्र)

        30-श्री हरीनाथ राजभर (इनकी मृत्यु हो चुकी है।),428, जूनियर ,म-आई-जी-, सेक्टर-1, पानी की टंकी के पास, पं- दीनदयाल उपाध्यायनÛर,  रायपुर छ-Û-

        31-श्री रामबृज राजभर, Û्राम-कुरिहर, पो-उदियावां(बरदह), जिला-आजमÛढ़ उ-प्र-

        32-श्री चन्द्रमा भार}ाज, बी-नाÛ ,स-टी-डी- आजाद चैक, किरोड़ीमलनÛर ,रायÛढ़ छ-Û-

        33-श्री छोटेलाल राजभर Û्राम-मानÛांव, पो-बंधा, तह-सिहोरा, जिला-जबलपुर म-प्र-

        34-श्री ऋ’िाके”ा राजभर Û्राम-अहियाई,पो-सादात (अकबरपुर) जिला-Ûाजीपुर उ-प्र-

        35-श्री सुरेन्द्र चैधरी राजभर, लीलजाटोल, राजविराज वार्ड नं- 7, सप्तरी नेपाल दे”ा

        36-श्री सूर्यनाराय.ा म.डल, Û्राम-पो-लालपुर, बरोपट्टी, अंचल-सिंहे”वर, जिला-मधेपुरा बिहार

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 टिप्प.ाी- नियमावली कम्पोज करने में पूरी सावधानी बरती Ûई है। यदि किसी प्रकार की भूल-चूक हो तो मूल प्रति में है वही सही माना जायेÛा। 25 दिसम्बर 2010 की बैठक में जो सं”ाोध हु, हैं उसकी जानकारी जनवरी 2011 के अंक में सं{िाप्त में प्रका”िात कर दी Ûई है। जिसके अनुसार न्यूनतम सदस्यता “ाुल्क प्राथमिक सदस्य पांच सौ रुपये, सामान्य सदस्य ,क हजार रुपये, वि”िा”इ सदस्य पांच हजार रुपये, अति वि”िा’ठ सदस्य ग्यारह हजार रुपये, परम वि”िा’ठ सदस्य इक्कीस हजार रुपये,,वं संर{ाक सदस्य इन्क्यावन हजार रुपये होÛा। ,ेसे संस्थापक सदस्य जो प्राथमिक सदस्य भी नहीं बने मतदान से वंचित या विलोपित समझे जायेंÛे। सं”ाोधन जनवरी 2011 से लाÛू होÛा। अधिक जानकारी के लि, सम्पर्क करें।

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सं{िाप्त परिचय

(1) नाम -ः आचार्य ”िावप्रसादसिंह राजभर ‘‘राजÛुरु’’

(2) जन्म तिथि-ः 01-01-1945 ई-

(3’) जन्म
EMAIL-  acharyarajbharrajguru230@gmail.com , rajbharmartand@gmail.com

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2 टिप्पणियाँ

  1. namstey mai khaga fatehpur u.p se hu yha pe ek chota gav hai majhil gaon jha mharaja virsen dwara stapit hajaro sal ki murti hai jispe maharaj ka abhilekh vi hai kripya yha akar kuch ar jankari ektta kare

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  2. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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