22.मध्यप्रदेश के मूल निवासी राजभरों की गोत्र
प्रथा
(लेखक-आचार्य
शिवप्रसादसिंह राजभर ‘’राजगुरु’’)
(यह लेख राजभर
मार्तण्ड मासिक के अगस्त, सितम्बर, अक्टूबर 2005 अंक में तथा राजभर शोध लेख
संग्रह में छप चुका है । प्राय; यह देखा जा रहा है कि कठिन परिश्रम के साथ खोजबीन
कर लेख तैयार किए जाते हैं ,इस उम्र में भी कम्पोजिंग करने के बाद इन्टरनेट में
डाले जाते हैं किन्तु राजभर समाज के बन्धुओं को ऐतिहासिक लेखों में जो रुचि लेना
चाहिए वह नहीं लेते ,जातीय स्वाभिमान रहित होने का यह भी एक लक्षण है । ध्यान
रखें जो कौम अपना जातीय इतिहास नहीं जानती ,उसे सुरक्षित नहीं रख सकती ,वह नया
इतिहास बनाने में सक्षम नहीं हो सकती । )
मध्यप्रदेश
के मूल निवासी राजभरों के अलावा राजभर समाज के लोग कहते हैं कि उनका गोत्र
भारद्वाज है । देखा-देखी मध्यप्रदेश के मूल निवासी भी इसका अनुसरण
करने लगे हैं, जबकि गोत्र विभिन्नता उनके यहां पहले से ही विद्यमान है ।
सीधी-सादी बात है यदि सम्पूर्ण समाज का गोत्र भारद्वाज है, चाहे वह ऋषि भारद्वाज
के नाम पर प्रचलित हो श अवध नरेश महाराज भारद्वाज के नाम से प्रचलित हो तो सभी का
सगोत्र विवाह क्यों ।
शास्त्रों
की बात छोड भी दी जाये तो भी वैज्ञानिक दृष्टि से सगोत्र विवाह जायज नहीं है ,चाहे
वह किसी भी पीढी में हो । यथार्थ तो यह है कि उच्च होने की लालसा ने हमें
भारद्वाज होने का ढिढोंरा तो पिटवा दिया किन्तु कभी इस ओर ध्यान नहीं दिया कि
राजभरों में सगोत्री विवाह के कारण इस गोत्र का रत्ती भर महत्व नहीं है । चर्चा
करने पर प्राय; लोग कहते हैं कि हम एक दूसरे से दो-चार पीढी की जानकारी
ले लेने के बाद ही विवाह करते हैं । यह तर्क आप दूसरों को तसल्ली देन या अपनी
झेंप मिटाने के लिए देते हैं । यह तर्क एकदम बकवास है । आप अपने समय के सम्बंध
में जानकारी नहीं रख पाते फिर दो-चार पीढियों की जानकारी रखने का ढोंग करते हैं ।
वह इसलिए कि इस तर्क के सामने रखने के अलावा आपके पास कोई चारा नहीं है । मान लिया
आपका गोत्र भारद्वाज है तो भी आपका पारिवारिक सम्बोधन अथवा उपगोत्र कुछ न कुछ तो
होना चाहिए ,जिसका पीढी दर पीढी आप उपयोग करते आ रहे हों । वह भी आपके पास नहीं है
। इस सबके न होने पर कम से कम तीसरी पीढी में एक ही परिवार के लोगों में विवाह सम्बंध
हो जाने से बच पाना मुश्किल है । (मेरे सामने ऐसे कई उदाहरण आये है कि गोत्र
विभिन्नता न होने से एक ही परिवार के भाई बहनों में विवाह सम्बंध हो गये ।)
यथार्थ तो
यह है कि इस दिशा में राजभर समाज ने सोचने समझने का कभी प्रयास ही नहीं किया,जिसका
परिणाम राजभर समाज इस रूप में भोग रहा है कि जीन्स चेन्ज न होने के कारण इस जाति
की प्रवृत्ति एवं प्रकृति जातीय स्वाभिमान से रहित सी हो गई है और अपने ही समाज
को विघटित करने में अधिक रुचि लेती है ।
आपको
यह जानकर आश्चर्य होगा कि भारशिवनाग अथवा भर-राजभर जाति से टूटकर बनी तामियां
जिला छिंदवाडा मध्यप्रदेश की पातालकोट की भारिया जनजाति में 51 गोत्र पाए जाते
हैं ,और ये भारिया आदिवासी सम-गोत्री विवाह नहीं करते । प्राय; हर जाति में
गोत्रों का चलन है । राजभर समाज का समाजशास्त्रीय अध्ययन किए जाने की नितान्त
आवश्यकता है ।
मध्यप्रदेश
में मूल निवासी राजभरों में-मुख्य रूप से जबलपुर, कटनी जिलों के हवेली पचेल,
कनौजा क्षेत्र के मूल निवासी राजभरों में पारिवारिक नाम (बैंक) हैं जिनका कि गोत्र
के समान उपयोग होता है । यहां भारद्वाज, कश्यप, चान्द्रायण, कृष्णात्रेय आदि
गोत्र तो हैं किन्तु इनकी आवश्यकता नहीं है ,क्योंकि विवाह सम्बंध में रक्त
शुद्धता बनाए रखने के उद़देश्य से पारिवारिक सम्बोधनों का उपयोग ही पर्याप्त है
। ये सम्बोधन पीढी दर पीढी चले आ रहे हैं । हवेली, पचेल एवं कनौजा के राजभरों में
चौहान-छैलमुकरा-शैलमुक्ता, कलार, बढेला-बघेला), खरवरिया, चन्देल, नेकवार-रैकवार,
बिलियागढ, पुण्डा-पाण्डो, जंगरिया, दुर्जेला, सिठिया, कुलभनियां-कुशभवनियां,
महतेला-महत, पलहा-पलिवार, राजपटेल, मुण्डवरिया, सरवरिया-सरवैया, रहतिया,
सुरहतिया, गुलेटा, खिलैंयां, गरवाल, बम्हनियां आदि भेद पाए जाते हैं । इन्हें
यहों बेंक यानी शाखा कहा जाता है। खरवरिया-खरवार-खैरवार राजभर इसी बेंक के राजभर
में शादी नहीं कर सकता । पलहा राजभर पलहा राजभर में शादी नहीं कर सकता । कहने का
तात्पर्य यह है कि एक ही सम्बोधन बेंक वाले राजभर आपस में विवाह सम्बंध नहीं कर
सकते । आपको दो-चार पीढी की दास्तान याद रखने की आवश्यकता नहीं है । केवल आपको
आपका बेंक मालुम होना चाहिए । यह बेंक स्वाभाविक रूप से परिवार के
लोगों को याद रहते हैं । आप यहां किसी राजभर के बच्चे से पूछेंगे कि उसका बेंक क्या
है अथवा वह कौन सा राजभर है तो वह बता देगा कि उसका बेंक क्या है अथवा वह कौन सा
राजभर है । उक्त बेंक कुछ अपभ्रन्श रूप में हैं । खरवरिया वास्तव में महाराजा
मदन 1158-1190 ईस्वी मिर्जापुर से सम्बंधित हैं । महाराजा मदन राजभरों की उपजाति
खरवारया-खैरवार से सम्बंधित थे चन्देल जैजाकभुक्ति के चन्देलों से । इसी प्रकार
अन्य बेंको या गोत्रों का सम्बंध किसी न किसी से जुडा है ।
राजभर
समाज का प्रबुद्धवर्ग चाहता है कि भरया राजभर जाति की उपजातियां जो कि वर्तमान में
स्वतंत्र जातियों के रूप में हैं वे एक हो जायें और आपसी सम्बंध बनाना प्रारम्भ
कर दें । जिनका इतिहास एक है और जो भरत, भर, भारशिव या राजभर के मूल इतिहास के खण्ड
हैं ,उन्हें एक होना ही चाहिए । यह जो हम अभी सोच रहे हैं , मध्यप्रदेश के
हवेली, पचेल कनौजा क्षेत्र में सदियों पहले कार्यान्वित किया जा चुका है । खैरवार,
चन्देल, पाण्डो, महत, पालिहा ,पटेलिया, खैरवार-खरिया, मण्डिया, पाण्डो आदि मध्यप्रदेश
में जनजाति की सुची में हैं ,और राज्जहर अनुसूचित जाति की सुची में । मुझे लगता
है कि सदियों पहले राजभरों से बिछुडे स्वजनों ने कोई महाधिवेशन कर राजभर जाति का
महासंघ बनाया होगा । आज हम काफी प्रगतिशील हैं । अभी भी खैरवार ,रजवार ,चन्देल,
रज्झर जो हमारे अपने हैं इन्हें अपने साथ चलने के लिए आमंत्रित करना चाहिए ।
हमें केवल इसी उद़देश्य के लिए एक महाधिवेशन करने की नितान्त आवश्यकता है है ।
गोत्रों पर भी विचार आवश्यक है । (यहां मैं यह भी बता दूं कि मध्यप्रदेश में
राजभर समाज का रघुवंशियों से भी वैवाहिक सम्बंध होता है , श्री हजारीलाल जी
रघुवंशी जो कि मध्यप्रदेश विधान सभा के अध्यक्ष रहे हैं एवं होशंगाबाद जिले से
हैं के रघुवंशी समाज में राजभर समाज कई वर्षों से वैवाहिक सम्बंध बना चुका है जो
कि अभी भी जारी है । )
मध्यप्रदेश
में राजभरों के प्रचलित पारिवारिक पहचान या गोत्रसें के विषय में
मैंने 51 वर्ष पूर्व पूज्य श्री राजेन्द्रप्रसाद जी राजभर वाराणसी से
पत्राचार किया था । वे इसका समाधान नहीं कर पाये थे । हां इतना अवश्य लिखा था कि
बढेला शायद विन्ध्येला का रूप हो । इसी प्रकार कुछ अन्य उपनामों (बेंकों) के
बारे में बताया था । मेरे नये शोध के अनुसार- मैंने जब भारशिव नागों के विषय में
मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र के विदर्भ में प्राप्त वाकाटक नरेशों के द्वारा उत्कीर्ण
ताम्रपत्रों का अध्ययन किया तो मालुम हुआ कि कि मध्यप्रदेश के मूल निवासी
राजभरों के बहुत से बेंक या गोत्र उन गांवों के नाम पर भी प्रारम्भ हुए जिन
गांवों का उल्लेख उन ताम्रपत्रों में है जैसे महत्तर गांव से महत या
महतेला ,शैलपुर ग्राम से शैलमुक्ता या छैलमुकरा , बम्हनी से बम्हनिया आदि
। यह और भी शोध का विषय है ।
गोत्रों
का उद़भव कई प्रकार से होता है । गोत्र किसी ऋषि के नाम पर होता है । प्रवर ऋषियों
के नाम पर भी गोत्र चलता है । मुख्य रूप से गोत्रों के निम्नांकित प्रकार होते
हैं - मूल वंश का गोत्र, वीर्यजन्य गोत्र, उपाधिजन्य गोत्र, स्थानजन्य गोत्र,
शिष्य परम्परागत गोत्र आदि । गोत्रों के विषय में विस्तुत चर्चा हेतु मैंने
राजभर मार्तण्ड मासिक पत्रिका के माध्यम से भी प्रयास किया । लोगों ने अपने
विचार भी रखे किन्तु कोई खास परिणाम सामने नहीं आए । गोत्रों के विषय में विस्तृत
चर्चा हेतु आपके सुझाव आमंत्रित हैं ।
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BY- कैलाश नाथ राय भरतवंशी
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ADDRESS.- kailashnathrai0023@gmail.com
46 टिप्पणियाँ
Rajbhar ka kaun sa gotra Hai
जवाब देंहटाएंBhardwaj
हटाएंभारशिव नागवंशी
हटाएंRajbhar kab se Kshatriya ho gaye
जवाब देंहटाएंजब से आपके पूर्वज जन्म नही लिए थे उससे ईसा से 2000 वर्ष पूर्व भर लोगो ने हरप्पा संस्कृति को जन्म दिया।
हटाएंभर लोगो ने राजपूतो को पैदा किया बेहतर जानकारी के लिए ये बुक डाऊनलोड करके पढ़ सकते है। जिसको किसी भर ने नही लिखा है https://archive.org/stream/in.ernet.dli.2015.219902/2015.219902.Hand-Book#page/n123/mode/2up/search/Bhar
हटाएंहम लोग पता है राजपूत क्यो नही लिखते क्योकि खुद राजा थे इसलिए सीधा सीधा राजभर लिखते है।
हटाएंRajbhar kab se Kshatriya ho gaye
जवाब देंहटाएंराजभर और क्षत्रिय अलग अलग जाति हैं
हटाएंRajbhar ka kya kam h.....
जवाब देंहटाएंJaise yadav ka kam dudh likaalna...
Plzzzzzzzzz
... Answers.......
Bhar stand for warrior
हटाएं
हटाएंराजभर राजा थे, जिनको मुसलमानो औऱ राजपुतो ने मिलकर छीन लिया, अंतिम राजभर राजा दलदेव के राज्य रायबरेली पर मुस्लिम राजा इब्राहिम साँसरकी ने होली के रात में हमला करके मार डाला, इसलिए राजभर समुदाय होली को आंशिक रूप से मनाते है
Right Sir Ji
हटाएंRajbhar Raja the
हटाएंKam se 6 log a Naam Se Hi pahchan Jao Na Rajbhar ka matlab kya hota hai Raja
हटाएंHigh education and high Post .
हटाएंrajbhar ka work (wevsay) kya hai bataye
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
हटाएंDerived from Tribal language which mean warrior
हटाएंYe bolte hai ki mera bhardwaj gotra hai kya ye sahi hai kya
जवाब देंहटाएंinke kitne upnaam aur gotra hai kripaya bataye ,inki sadi to rajbharo me he hote dekha hai kai jile jaise Aazamgarh ,Mau,gorkhpur,gajipur,kushinagar,baliya,varansi,bihar ...
जवाब देंहटाएंaapne kabhi Bhar/Rajbhar ki history padhi hai...wo padhiye tab pata chal jayega ki U.P ke zyadatar Rajputon ki utpatti Bhar/Rajbhar se hi hui hai.....
हटाएंIsiliye inka Gotra aur Titles bhi clash karta hai....
Chandel/Geharwar/Parmar/Parihar/Bacchals/Bisens/BhaleSultans/ : ye sare Bhar/Rajbhar se hi Nikale hain.
THoda history padhiye tab pata chalega ki Musalmanon aur Rajputon se pahle Poore U.P par Bhar Rajaon ka Raj tha. aur aap ko to pata hi hoga ki Raja ke vanshaj "Rajput" kahlate hain. But "Bhar" log apne aap ko "Rajputon" se bahut oopar maante hain...isliye wo "RajBhar" title use karte hain.
Kuch links bhej raha hu.....Rajputon ki official web sites hain. padhiye aur Janiye "Rajputon" ki utpatti ke bare mein.
https://shrirajputkarnisena.blogspot.com/2017/09/chandel-rajput.html
http://historyofbhalesultankshatriya.blogspot.com/?view=classic
https://archive.org/stream/in.ernet.dli.2015.219902/2015.219902.Hand-Book#page/n123/mode/2up/search/Bhar
Thanks jankari dene ke liye
हटाएंकौन सी भर जाती ?
जवाब देंहटाएंसतमी के बच्चे के भाग २ के शीर्षक डीह बाबा में राहुल संक्रित्यान जी ने लिखा है ईसा से प्रायः दो हजार वर्ष पूर्व, जब आर्य भारत में आये, तब से हजारो वर्ष पूर्व, जो जाति सभ्यता के उच्च शिखर पर पहुच चुकी थी, जिसने सुख और स्वच्क्ष्ता-युक्त हजारों भव्य प्रसादो, सुदृढ़ नगर बसाये थे.
दुनिया भर के नाम से ही हमारे पूर्वजो का लोहा मानती थी, वही भर जाति................
महाराजा भरत अमर रहे !
महाराजा वीरसेन राजभर अमर रहे !
महाराजा सुहेलदेव राजभर अमर रहे !
जय राजभर समाज
बाकी आप यहाँ से डाउनलोड करके पढ़ सकते है https://drive.google.com/file/d/1WTlhu7QtNnUIEjwALnerVx5N37oKsht3/view?usp=sharing
Rajbhar ka mukhya work Kya tha plz comments me
जवाब देंहटाएंRaja koi work nahi karta hai
हटाएंHame ye jankar bhahut acha lagta ki ham Rajput ko Janam diye hai likin sale ham se hi takrate hi
जवाब देंहटाएंSahi hai bhai ....kyuki Beta aksar apna sudh-budh kho deta hai...to takarana lazmi h...waise hi ye log nashe me hain....
हटाएंBhai agar koi book internet par Rajbhar ki hai to book ka Naam jarur mere es email par send kar de
जवाब देंहटाएंSatyambhardwaj19120@gmail.com
Mujhe bi rajbhar ki puri jankari chahiye..plzzzp lzzz bi send me..🙏🙏🙏
हटाएंHam logo ko Jan bujkar pichhe Kiya gya hai
जवाब देंहटाएंHame iske liye education ki need h jitna log educated honge utni shi h...I'm from Bihar...Proud to be an Indian and Rajbhar Girl.kisi ke Afwaho se bache kuchh bhi Internet pe log bake jaarhe h Rajbhar k name pe...pata kuch hai ni...Hame apna Samrajya ki rksha khud hi krni h...😇😇😇
हटाएंRajbhar se pta na kyu puri duniya KO jalti h...mje bhut bura lgta tha jab school m padhti thi 10 tk pta ni tha itna khud k bare m or papa btate h hme Ki humlogo ka itihash dba diya gya h taki wo humse bade ban jay.mujhse s jb cast puchata koi or kehte sb ki Rajbhar ky hota h bhar ka ghar kaisa kasam man krta tha ki jaan lelu usi waqkt .but ab sabki aukat dikhati hu .Jay Rajbhar samaj.I am proud to be a Rajbhar Girl🙏🏻🙏🏻🙏🏻
जवाब देंहटाएंपता ना आप मेरा जवाब पढ़ पावोगी या नहीं ।
हटाएंराजभर समाज अपने समय मे ऊचाई की बुलंदियों को छू चुका था। महाराजा सुहेल देव के नेतृत्व में सभी हिन्दू राजा के साथ मुस्लिम गाजी के साथ
कुरुक्षेत्र में महाभारत के जैसा दूसरा महा संग्राम हुआ था। जिसमे हमारी जीत हुई थी।
पर आगे चलकर कुछ हिन्दू लालचियों के चलते मुस्लिमो द्वारा हमारा कत्तले आम होने लगा ।हमे धुंड कर मार दिए जाने लगा उसी वजह से जिसने जान बचाकर जहा अपना जीवन जीना शुरू कर दिया और राजभर से क्या क्या न जाने लिखने लगे ।
Kisi ke जानकारी में कोई लड़का है जो सर्विस में है ,शादी करनी है लड़की की age -23,mob no 9667190369
हटाएंJai suheldev rajbhar jee
जवाब देंहटाएंराजभर समाज के ही वंशज है तो लोग क्षत्रिय वैश्य राजपूत सिंह रजवार भरपत्वा बहुत सारे उपनाम क्यों लिखते हैं सब लोग राजभर लिखकर अपनी उपस्थिति दर्ज कर राजभर इतिहास के साथ सम्मान सहित जीने के लिए एक विचारधारा से प्रभावित होना चाहिए जिससे पूरा भारत देश हमारा भारत देश महान से महान की गरिमा बनाए रखें
जवाब देंहटाएंभर राजभर के नाम द्वारा भारत देश महान देश बना
सभी राजभर समाज के वंशजों को बताना चाहता हूं कि जब हमारे दादा पुरखा अपने सभ्यता मान सम्मान की गरिमा बनाए रखने के लिए अपने नाम बदल कर लोग जंगल खाड़ी पहाड़ी खंडहर में शामिल हो गए थे लेकिन अब तक आपने किसी भी तरह की गरिमा के साथ खिलवाड़ नहीं किया जिससे बड़े सौभाग्य की बात है कि आज हम राजभर समाज अनेक जगहों में रहते हुए भी हम अनेक नमो से जाने जाते हैं लेकिन राजभर समाज के खून की गरिमा बनाए रखने के लिए सब लोग राष्ट्र वीर महाराजा सुहेलदेव राजभर जी के इतिहास के साथ साथ एक विशाल जन मत के साथ राष्ट्र वीर महाराजा सुहेलदेव राजभर जी की जयंती मनाते हुए एक सूत्र में बंध रहे हैं
Jai maharaja suheldev rajbhar ji 🙏
हटाएंJai suheldev rajbhar ji
जवाब देंहटाएंRajbhar sher kat hai esh Desh par Raj Kar chuka hai
जवाब देंहटाएंKy Rajbhar Brahman hai
जवाब देंहटाएंdhire dhire sabko samajh aa jayega
जवाब देंहटाएंनेय राहूल पटेलिया बोलरहू मुझे आप फोन नंबर चाहये मुझे ओर जानकारी चाहये मेरा नंबर 7057953308
जवाब देंहटाएंSir...mera ye questions h..agar..rajbh ra... bhardwaj. Gotra h to yah kis gotra me aate h in k vanshaj kon h...or agar surnam hi Bhardwaj ho to wo kisme aate....plzzzzz,,🙏🙏🙏sir ans..qki bhot problem hoti h example krne me....ans..plz dijiaga....or bi puchna h...mujhe...plz sir request..🙏🙏🙏
जवाब देंहटाएंहमारे देश का नाम भारत ,भर भरत जनजाति के नाम से पड़ा है।
जवाब देंहटाएंYaha pe jitne bhi jankar hi sab bina jankari ke kuch bhi internet pe dal dete hi agar tume Rajbhar ke gotra se taklif hai to jara dubara sahi tarike se jankari ke sath bola karo agar tume jankari chaiye to u.p me ghum ke ajao agar fir bhi tume dikat hai tu ye tumara durbhagya hai jo kuch gadaro ne Rajbhar ka itihaas chupaya gaya isme tumari koi galti nhi hi... Jai Shree Ram
जवाब देंहटाएं